आपकी नींद पूरी हुई है या नहीं बताएगा यह ब्लड टेस्ट, इससे सड़क हादसों को रोकने में मिलेगी मदद

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जिससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आपकी नींद पूरी हुई है या नहीं. बताया जा रहा है कि इस बल्ड टेस्ट से सुस्ती में गाड़ी चलाने के कारण होने वाली कार दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

प्रतीकात्मक तस्वीर(Photo Credit: Pixabay/Unsplash)

शराब के नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा तो हमेशा बना रहता है, लेकिन नींद की कमी या अधूरी नींद लेने के बाद गाड़ी चलाने से होने वाले हादसों का खतरा दोगुना बढ़ जाता है. दरअसल, गाड़ी चलाने के लिए अच्छी और पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है. इसी के मद्देनजर वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जिससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि आपकी नींद पूरी हुई है या नहीं. बताया जा रहा है कि इस बल्ड टेस्ट से सुस्ती में गाड़ी चलाने के कारण होने वाली कार दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिलेगी.

हालांकि इससे पहले हुए अध्ययनों में भी यह पाया गया है कि जो लोग हर रोज अनुशंसित सीमा से कम यानी सिर्फ एक या दो घंटे की नींद लेते है,  उनके द्वारा गाड़ी चलाने के दौरान होने वाले हादसों का खतरा दोगुना बढ़ जाता है.

इस ब्लड टेस्ट को विकसिक करने के लिए करीब 36 लोगों पर ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे के डर्क जेन दिज्क के नेतृत्व में एक अध्ययन किया गया और इसमें शामिल कुल प्रतिभागियों को एक रात नींद नहीं लेने के लिए कहा गया, जिसके बाद उनके खून के नमूने लिए गए और शरीर में मौजूद हजारों जीन के व्यावहारिक स्तर में हुए बदलावों को मापा गया. यह भी पढ़ें: आंखों को बदसूरत भी बना सकता है कॉन्टेक्ट लेंस, हो सकती हैं ये 5 समस्याएं

शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस अध्ययन से आगे के जांचों के रास्ते भी साफ होते हैं, जिससे यह जानने में आसानी होगी कि किसी वाहन चालक की नींद पूरी हुई है या नहीं. ब्रिटेन यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ व्याख्याता एम्मा लायंग की मानें तो, इस बात से हर कोई वाकिफ है कि पर्याप्त नींद न लेने या नींद की कमी से सेहत पर नकारात्मक असर होता है. खासकर ऐसे लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा प्रभावित होता है, जिनकी लंबे अरसे से नींद पूरी नहीं हुई है.

हालांकि, अभी स्वतंत्र रूप से इसका आंकलन करना थोड़ा मुश्किल है कि किसी व्यक्ति ने कितनी नींद ली है और इससे पुलिस या नियोक्ता को यह जानने में काफी दिक्कत होती है कि कोई व्यक्ति गाड़ी चलाने के लिए स्वस्थ है या नहीं.

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