ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिससे हड्डियां कमजोरी होने लगती है और इसके टूटने का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है और 50 साल की उम्र के बाद हर तीन में से एक महिला इस गंभीर बीमारी का शिकार होती है. आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में हर तीन में से एक महिला और पांच में से एक पुरुष को ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर होने का जोखिम बना रहता है. इस बीमारी में हड्डियां भीतर से खोखली होकर कमजोर पड़ जाती हैं. हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि जोर से छींकने भर से वो टूट सकती हैं.
हर साल दुनिया भर में 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस खतरनाक बीमारी के प्रति जागरूक किया जा सके. चलिए जानते हैं यह बीमारी किन कारणों से होती है और इससे कैसे बचा जा सकता है?
क्या है कारण?
हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं. बढ़ती उम्र के साथ खान-पान पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है, नहीं तो हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. हालांकि इसके अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कई और कारण हो सकते हैं. यह भी पढ़ें: World Arthritis Day: भारत का हर छठा व्यक्ति है गठिया का मरीज, जानें कैसे करें बचाव?
- बढ़ती उम्र के साथ-साथ खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान न देना.
- जिनके माता-पिता को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या रही हो उनके बच्चों को इसका खतरा अधिक होता है.
- एक्सरसाइज न करने के कारण ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है.
- कैल्शियम, विटामिन डी और प्रोटीन की कमी इस खतरनाक बीमारी का कारण बन सकती है.
- जो लोग शराब और सिगरेट का सेवन करते हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है.
- दौरे की दवाओं तथा स्टेरॉयड आदि के सेवन से भी कभी-कभी ये समस्या हो सकती है.
- ज्यादा सॉफ्ट ड्रिंक पीने, ज्यादा नमक खाने व महिलाओं में जल्दी पीरियड्स खत्म होने से यह रोग हो सकता है.
सामान्य लक्षण
- हड्डियों में लगातार दर्द होने की समस्या.
- मामूली चोट लगने पर भी हड्डियों का फ्रैक्टर हो जाना.
- रीढ़, कलाई, हाथ और पैर के जोड़ों में दर्द व फ्रैक्चर.
- अत्यधिक थकान, सुबह के वक्त कमरदर्द होना.
- समय के साथ-साथ दर्द बढ़ने की समस्या.
कैसे करें बचाव?
- वॉक, एरोबिक्स, डांस, योग और लाइट स्ट्रेचिंग जैसे एक्सरसाइज करें.
- अपने नियमित दिनचर्या में सकारात्मक परिवर्तन लाएं.
- कैल्शियम, विडामिन डी और प्रोटीन से भरपूर आहार लें.
- 50 की उम्र के बाद नियमित अंतराल पर एक्स-रे कराएं. यह भी पढ़ें: भारत में हर 6वां व्यक्ति है डिप्रेशन का शिकार, इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- इस रोग से पीड़ित मरीजों को विटामिन डी की टैब्लेट 6 हफ्ते के लिए दी जाती है.
- इसके अलावा डॉक्टर अलेंड्रोनेट 70 एमजी हफ्ते में एक बार देने की सलाह देते हैं.
- ज्यादा दर्द हो तो कई बार सर्जरी कराने की नौबत आ जाती है, जिसमें इंजेक्शन की मदद से हड्डी में सीमेंट डाला जाता है.
- कई बार हड्डियों को फिक्स करने के लिए भी सर्जरी का सहारा लिया जाता है.