World Aspergilosis Day 2019: कैसे होता है यह फंगल इंफेक्शन, जानें इसके लक्षण और बचाव के आसान तरीके
आज विश्व एस्परजिलोसिस दिवस मनाया जा रहा है. यह एक ऐसी बीमारी है जो एस्परजिलस नामक फंगस के कारण होती है. इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के मकसद से दुनिया भर में हर साल 1 फरवरी को विश्व एस्परजिलोसिस दिवस मनाया जाता है.
World Aspergilosis Day 2019: आज विश्व एस्परजिलोसिस दिवस मनाया जा रहा है. यह एक ऐसी बीमारी है जो एस्परजिलस नामक फंगस (fungus Aspergillus) के कारण होती है. इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता (awareness) फैलाने के मकसद से दुनिया भर में हर साल 1 फरवरी को विश्व एस्परजिलोसिस दिवस मनाया जाता है. एस्परजिलस एक आम फंगस है जो घर के अंदर और बाहर पाए जाते हैं. कई लोग अनजाने में इस फंगस के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे उनमें इस फंगल इंफेक्शन (Fungal Infection) का खतरा बढ़ जाता है.
एस्परजिलस विभिन्न प्रकार के होते हैं. इनमें एलर्जिक ब्रोंकोपल्मनरी एस्परजिलस ( allergic bronchopulmonary aspergillosis) एलर्जिक एस्परजिलोसिस साइनसाइटिस (allergic aspergillosis sinusitis) एस्परजिलोमा (aspergilloma) क्रॉनिक पल्मोनरी एस्परजिलोसिस (chronic pulmonary aspergillosis) और इनवेसिव एस्परजिलोसिस (invasive aspergillosis) इत्यादि शामिल हैं.
अगर समय रहते इस फंगल इंफेक्शन का इलाज नहीं कराया गया तो इससे फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, इसलिए इस बीमारी के प्रति लोगों का जागरूक होना बेहद आवश्यक है.
क्या है इसके लक्षण?
एस्परजिलोसिस के लक्षण इस बीमारी के उप प्रकार पर निर्भर करता है. सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (सीडीसी) (Center for Diseases Prevention and Control) के अनुसार, इस बीमारी के लक्षण निम्न प्रकार के हो सकते हैं. यह भी पढ़ें: बॉडी के इन 5 संवेदनशील अंगों को न छुएं बार-बार, वरना हो सकते हैं इंफेक्शन के शिकार
- गले में घरघराहट
- सांस फूलना
- खांसी और बुखार
- उमस
- बहती नाक
- सिरदर्द
- सांस लेने में तकलीफ
- थूक में रक्त निकलना
- वजन घटना
- थकान
किन लोगों को है इसका खतरा?
जो लोग ऐसे माहौल में रहते हैं, जहां सूक्ष्म एस्परजिलस जीवाणुओं के पनपने की संभावना अधिक होती है. ऐसे लोगों को इससे संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है. हालांकि जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है वो इससे लड़ सकते हैं, लेकिन जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उन्हें इसका जोखिम ज्यादा होता है.
अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस, टीबी, सीओपीडी, कमजोर इम्यूनिटी और कैंसर के मरीजों की एस्परजिलोसिस की चपेट में आने की संभावना अधिक होती है.
कैसे होता है इसका उपचार?
यह एक फंगल इंफेक्शन है, इसलिए इसका इलाज इट्राकोनाजोल (itraconazole) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड (corticosteroids)जैसी एंटीफंगल दवाओं की मदद से किया जाता है. जबकि इनवेसिव एस्परजिलोसिस का इलाज वोरिकोनाज़ोल, पॉसकोनाज़ोल, इट्राकोनाज़ोल, कैसोफ़ुंगिन, माइकाफुंगिन और इसवुकोनाज़ोल जैसी दवाइयों से किया जाता है. हालांकि गंभीर मामलों में सर्जरी कराने तक की नौबत आ जाती है. यह भी पढ़ें: सेक्स लाइफ, सेहत और किस्मत को संवारती है हरी इलायची, जानिए इसके फायदे
कैसे करें रोकथाम?
- संक्रमण से बचने के लिए श्वास यंत्र और चेहरे पर मास्क लगाएं.
- बागवानी और खेती के कामों के दौरान विशेष सावधानी बरतें.
- आउटडोर एक्टिविटीज के दौरान जूते, मोजे और दस्ताने की सफाई का ख्याल रखें.
- फंगल इंफेक्शन से बचाने के लिए अपने हाथों और पैरों को मेडिकेटेड साबुन से धोएं.
सीडीसी के अनुसार, एस्परजिलोसिस के सूक्ष्म जीवाणु वातावरण में मौजूद होते हैं, जिससे इनके द्वारा होने वाले संक्रमण को रोकना मुश्किल है. ऐसे में जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उन्हें खास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.