Stroke vs Heart Attack: हार्ट अटैक और स्ट्रोक में क्या अंतर है? इमरजेंसी में ऐसे पहचानें सही लक्षण, जानें कैसे बचाए जान

हार्ट अटैक और स्ट्रोक दोनों मेडिकल इमरजेंसी हैं, लेकिन इनके लक्षण और इलाज अलग हैं. स्ट्रोक (BEFAST) में चेहरा टेढ़ा होना या बोलने में दिक्कत होती है, जबकि हार्ट अटैक में सीने में तेज दर्द होता है. दोनों ही सूरतों में, 'टाइम ही सबकुछ है', इसलिए लक्षण पहचानकर तुरंत एम्बुलेंस बुलाना जान बचा सकता है.

हार्ट अटैक और स्ट्रोक दोनों मेडिकल इमरजेंसी हैं (Photo : X)

Stroke vs Heart Attack: जब कोई अचानक गिर जाता है या अजीब तरह से उलझन में बात करने लगता है, तो हम सब घबरा जाते हैं और सोचते हैं कि यह "मेडिकल इमरजेंसी" है. पर क्या आप जानते हैं कि यह हार्ट अटैक है या स्ट्रोक?

दोनों ही जानलेवा हो सकते हैं, लेकिन दोनों में बहुत बड़ा फर्क है. हार्ट अटैक दिल (Heart) की समस्या है, जबकि स्ट्रोक दिमाग (Brain) की. इनके लक्षण अलग होते हैं और इनका इलाज भी अलग तरीके से होता है. यह फर्क जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि दोनों ही मामलों में इलाज फौरन शुरू होना चाहिए.


हार्ट अटैक और स्ट्रोक क्या हैं?

हार्ट अटैक (दिल का दौरा): इसे 'मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन' भी कहते हैं. ऐसा तब होता है जब आपके दिल तक खून पहुँचाने वाली नस (कोरोनरी आर्टरी) में कोई रुकावट (जैसे खून का थक्का) आ जाती है. जब दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन वाला खून नहीं मिलता, तो वे मरने लगती हैं.

स्ट्रोक (दिमाग का दौरा): ऐसा तब होता है जब दिमाग तक जाने वाला खून रुक जाता है.

  1. इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic Stroke): इसमें दिमाग की नस में क्लॉट (थक्का) फंस जाता है (यह सबसे आम है).
  2. हेमोरेजिक स्ट्रोक (Hemorrhagic Stroke): इसमें दिमाग की कोई नस फट जाती है. दोनों ही मामलों में, दिमाग के सेल्स (कोशिकाओं) को ऑक्सीजन नहीं मिलती और वे डैमेज होने लगते हैं.


सबसे जरूरी: लक्षणों का फर्क कैसे पहचानें?

दोनों के लक्षण आमतौर पर अचानक शुरू होते हैं.

🧠 स्ट्रोक के लक्षण (दिमाग पर असर)

स्ट्रोक को पहचानने के लिए BEFAST या FAST फॉर्मूला याद रखें:

❤️ हार्ट अटैक के लक्षण (दिल पर असर)

जरूरी नोट: महिलाओं और बुजुर्गों में हार्ट अटैक के लक्षण कभी-कभी अलग हो सकते हैं. उन्हें सीने में तेज दर्द के बजाय अचानक थकान, बदहजमी या कमजोरी भी महसूस हो सकती है.


क्यों यह फर्क जानना और जल्दी एक्शन लेना जरूरी है?

दोनों बीमारियों में "टाइम ही सबकुछ है".

देरी का मतलब है शरीर को हमेशा के लिए नुकसान.


अगर शक हो तो फौरन क्या करें?

  1. अगर स्ट्रोक का शक हो (BEFAST लक्षण):

    • तुरंत एम्बुलेंस (आपातकालीन सेवाओं) को कॉल करें.
    • यह सोचकर इंतजार न करें कि लक्षण अपने आप ठीक हो जाएंगे.
    • अस्पताल में सीटी स्कैन या एमआरआई से पता चलेगा कि यह किस तरह का स्ट्रोक है.

  2. अगर हार्ट अटैक का शक हो (सीने में दर्द/दबाव):

    • तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करें.
    • अगर इमरजेंसी ऑपरेटर कहे और आपको एलर्जी न हो, तो एक एस्पिरिन (Aspirin) की गोली चबा लें.
    • लक्षण गंभीर होने पर खुद गाड़ी चलाकर अस्पताल जाने की कोशिश करें.


दोनों का खतरा एक जैसा, बचाव भी एक जैसा

अच्छी बात यह है कि हार्ट अटैक और स्ट्रोक, दोनों के ज्यादातर रिस्क फैक्टर एक जैसे ही हैं, जिन्हें हम कंट्रोल कर सकते हैं:

अगर आप इन चीजों को कंट्रोल में रखते हैं, तो आप इन दोनों जानलेवा बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम कर सकते हैं.

आखरी बात: स्ट्रोक (चेहरा टेढ़ा होना, हाथ कमजोर होना) और हार्ट अटैक (सीने में तेज दर्द) के फर्क को पहचानें. लक्षण दिखते ही तुरंत मदद बुलाएं. आपकी तेजी किसी की जान और जिंदगी बचा सकती है.

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