केरल में जानलेवा NIPAH वायरस का कहर, 9 लोगों की मौत, जानें क्या है यह वायरस और इससे कैसे बचे
इस रोग के फैलने का तरीका भी बेहद नाटकीय है चमगादड़ जिस पेड़ पर रहते है उसके फलों को संक्रमित करते है जब उस फल को कोई जानवर या इंसान खा लेता है तो उसको निपाह वायरस का इंफेक्शन हो जाता है.
नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में खतरनाक निपाह (Nipah) वायरस से 9 लोगों की मौत हो गई है. जिसमे एक ही परिवार के चार लोग शामिल हैं. जबकि 25 लोगों को निगरानी में रखा गया है. पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूना में खतरनाक निपाह वायरस होने की पुष्टि की है. मामले की गंभीरता को देखते हुए केरल सरकार ने इस पर केंद्र से तत्काल मदद करने की मांग की है. आनन-फानन में इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एनसीडीसी की टीम को केरल का दौरा करने का आदेश दिया है. बताना चाहते है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने मामले में एक कमेटी बनाई है। जो बीमारी की तह तक जाने में जुटी है. इसके साथ वायरस की जद में ज्यादा लोग न आ सके इसके लिए जरुरी कदम उठाये जा रहे है.
-जानिये क्या है निपाह (Nipah) वायरस?
निपाह मेडिसल साइंस के लिए बडी़ चुनौती की तरह सामने आया है. मेडिकल एक्सपर्ट्स का मानना है कि निपाह वायरस के इंफेक्शन का खतरा इस कदर मंडरा रहा है कि इससे कभी भी महामारी फैलने का डर है. यह मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए जानलेवा बन सकता है. ज्ञात हो कि पहली बार 1998 में मलेशिया के एक प्रांत कंपुंग से इसकी पहचान की गई थी. इसके साथ ही दूसरी बार इस वायरस का संक्रमण 2004 बंग्लादेश में सामने आया था. जहां यह बीमारी चमगादड़ों से संक्रमित खजूर खाने से इंसानों में फैली थी.
-ऐसे फैलता है निपाह वायरस?
बता दें कि इस रोग के फैलने का तरीका भी बेहद नाटकीय है चमगादड़ जिस पेड़ पर रहते है उसके फलों को संक्रमित करते है जब उस फल को कोई जानवर या इंसान खा लेता है तो उसको निपाह वायरस का इंफेक्शन हो जाता है.
-आखिर क्या है निपाह वायरस का इलाज?
जानकारी के अनुसार निपाह वायरस का अभी तक कोई सटीक उपचार नहीं खोजा गया है. लेकिन इसकी कुछ एलॉपथी दवाईयां है हालांकि वो भी अब तक कारगर सिद्ध नहीं हुई है. ये एक संक्रामक बीमारी है जो एक से दूसरे तक फैलती है। ऐसे में सलाह दी जाती है कि प्रभावित इंसान, जानवर या चमगादड़ के संपर्क में ना आएं. साथ ही गिरे हुए फलों को खाने की भी सलाह नहीं दी जाती है। सबसे अहम सावधानी ही एक अहम बचाव है.