National Epilepsy Day 2019: मिर्गी नहीं है लाइलाज बीमारी, इससे डरने की बजाय जागरूक बनें, जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के तरीके

मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं हैं, बस जरूरत है को इसके लक्षणों और इसके कारणों को जानकर समय पर सही इलाज कराने की. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है. इसके कारण और लक्षणों को जानकर समय पर इसका इलाज कराना चाहिए.

मिर्गी/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Flickr, modup.net)

National Epilepsy Day 2019: विश्व में करीब 5 करोड़ लोग मिर्गी (Epilepsy) के शिकार हैं, जबकि भारत में लगभग एक करोड़ लोगों को यह बीमारी है. मिर्गी के दौरे के समय जब मरीज के मुंह से झाग निकलते हैं और शरीर में अकड़न आने लगती है तो ऐसी स्थिति में लोग तरह-तरह की बातें सोचने लगते हैं. मिर्गी कोई मानसिक बीमारी नहीं, बल्कि मस्तिष्कीय विकृति है. दरअसल, हमारा मस्तिष्क खरबों तंत्रिका कोशिकाओं से निर्मित है और इन कोशिकाओं की क्रियाशीलता हमारे कार्यों को नियंत्रित करती है. पहले जहां इस बीमारी से पीड़ित मरीज झाड-फूंक के जरिए इलाज करना ज्यादा बेहतर समझते थे तो वहीं पिछले कुछ सालों में मिर्गी को लेकर लोगों में जागरूकता आई है.

मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं हैं, बस जरूरत है तो इसके लक्षणों और इसके कारणों को जानकर समय पर सही इलाज कराने की. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day) मनाया जाता है. चलिए जानते हैं इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के तरीके.

लाइलाज नहीं है मिर्गी

मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है, इसे कंट्रोल किया जा सकता है. हालांकि इसका उपचार थोड़ा लंबा जरूर है. बता दें कि इसका इलाज मेडिकल साइंस में संभव है न कि झाड़-फूंक के जरिए. डॉक्टरों की मानें तो मिर्गी से पीड़ित कुछ मरीजों के दिमाग के एक हिस्से में दौरा पड़ता है, जबकि कुछ लोगों को दिमाग के पूरे हिस्से में दौरा पड़ता है. अगर समय पर इलाज मिल जाए तो 2-3 साल दवा खाने से मिर्गी ठीक हो सकती है, जबकि 20-30 फीसदी मरीजों को जिंदगी भर दवा खानी पड़ती है. अच्छी बात तो यह है कि बेहतर इलाज की मदद से इस बीमारी से पूरी तरह निजात मिल सकती है.

लक्षण-

कारण-

रखें इन बातों का ख्याल

अगर किसी व्यक्ति को दौरा पड़ जाए तो उसे सुरक्षित जगह पर एक करवट लेटा दें. मरीज के कपड़े ढीले करें, उसे खुली हवा में रखें और आसपास भीड़ न लगाएं. दौरा पड़ने पर मरीज के सिर के नीचे मुलायम कपड़ा रखें और उसके मुंह में कुछ न डालें. इस बीमारी से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेनी चाहिए. कच्ची सब्जियों को खाने से परहेज करना चाहिए और साफ पानी में सब्जियों को अच्छे से धोकर उसका सेवन करके मिर्गी से बचा जा सकता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसमें दी गई जानकारियों को किसी बीमारी के इलाज या चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए. इस लेख में बताए गए टिप्स  पूरी तरह से कारगर होंगे या नहीं इसका हम कोई दावा नहीं करते है, इसलिए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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