Dementia: भारत में 10 मिलियन से अधिक वयस्क लोगों में डिमेंशिया होने की संभावना, अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अपनी तरह के पहले अध्ययन के अनुसार, भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के 10 मिलियन से अधिक वयस्कों को डिमेंशिया हो सकता है, जो कि अमेरिका और यूके जैसे देशों में प्रचलित दर के बराबर है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Pixabay)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अपनी तरह के पहले अध्ययन के अनुसार, भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के 10 मिलियन से अधिक वयस्कों को डिमेंशिया हो सकता है, जो कि अमेरिका और यूके जैसे देशों में प्रचलित दर के बराबर है. जर्नल न्यूरोएपिडेमियोलॉजी (Neuroepidemiology) में प्रकाशित शोध में 31,477 वृद्ध वयस्कों के डेटा का विश्लेषण करने के लिए सेमी सुपरवाइज्ड मशीन लर्निंग (Semi-Supervised Machine Learning) के रूप में जानी जाने वाली एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) (Artificial Intelligence) तकनीक का उपयोग किया गया.

शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि भारत में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्कों में मनोभ्रंश यानी डिमेंशिया की व्यापकता दर 8.44 प्रतिशत हो सकती है, जो देश में 10.08 मिलियन वृद्ध वयस्कों के बराबर है. यह अमेरिका में 8.8 प्रतिशत, ब्रिटेन में 9 प्रतिशत और जर्मनी और फ्रांस में 8.5 और 9 प्रतिशत के बीच समान आयु समूहों में दर्ज प्रसार दर की तुलना में है. यह भी पढ़ें: How to Control Diabetes: हाई ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए रोजाना सोने से पहले फ़ॉलो करें ये 4 रूटीन

शोधकर्ताओं ने पाया कि डिमेंशिया का प्रसार उन लोगों के लिए अधिक था जो वृद्ध थे, महिलाएं थीं, जिन्होंने शिक्षा प्राप्त नहीं की थी और जो ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे. अध्ययन के सह-लेखक और यूके स्थित सरे विश्वविद्यालय (University of Surrey) में स्वास्थ्य डेटा विज्ञान के व्याख्याता हाओमियाओ जिन (Haomiao Ji) ने कहा, "हमारा शोध देश में 30,000 से अधिक वृद्ध वयस्कों के साथ भारत में पहले और एकमात्र राष्ट्रीय प्रतिनिधि उम्र बढ़ने के अध्ययन पर आधारित था.

जिन ने एक बयान में कहा कि एआई के पास इस तरह के बड़े और जटिल डेटा की व्याख्या करने की एक अनूठी ताकत है और हमारे शोध में पाया गया कि डिमेंशिया का प्रसार स्थानीय नमूनों के पूर्व अनुमानों से अधिक हो सकता है. उन्होंने बताया कि सरे विश्वविद्यालय, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, मिशिगन विश्वविद्यालय और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली की शोध टीम ने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लर्निंग मॉडल विकसित किया. यह भी पढ़ें: Swollen Feet: पैरों में सूजन किडनी की समस्या का हो सकता है संकेत, लापरवाही पड़ सकती है भारी!

मॉडल को डेटा पर प्रशिक्षित किया गया था, जिसमें डिमेंशिया निदान के साथ 70 प्रतिशत लेबल वाले डेटासेट शामिल थे. शेष 30 प्रतिशत डेटा एआई की भविष्यवाणी सटीकता का आकलन करने के लिए एक परीक्षण सेट के रूप में आरक्षित किया गया था. एआई ने खुद को डेटासेट में डिमेंशिया निदान के बिना बिना लेबल वाली टिप्पणियों के लिए डिमेंशिया स्थिति की भविष्यवाणी करना सिखाया.

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