COVID-19: हेल्थकेयर एक्सपर्ट से जानिए कौन सा सेनिटाइजर है बेहतर, अन्य सुरक्षाओं को लेकर दी जानकारी
कोरोना से बचाव के लिए सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से कई परामर्श जारी किए गए हैं. उनमें सबसे पहला परामर्श मास्क लगाने का है, दूसरा सोशल डिस्टेंसिग और तीसरा हैंड हाइजीन का है. बाजार में कई तरह के सेनिटाइजर आ गए हैं. उसकी वजह से लोगों को अब कुछ भी होता है, तो वो दहशत में आ जाते हैं. सोचते हैं कहीं वे कोरोना से संक्रमित तो नहीं हो गए.
COVID-19 HealthCare Expert: कोरोना से बचाव के लिए सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से कई परामर्श जारी किए गए हैं. उनमें सबसे पहला परामर्श मास्क लगाने का है, दूसरा सोशल डिस्टेंसिग और तीसरा हैंड हाइजीन का है. बाजार में कई तरह के सेनिटाइजर आ गए हैं. हर कंपनी वायरस को मारने का दावा करती है, लेकिन कौन सा सेनिटाइटर बेहतर है यह जानना बहुत जरूरी है. हेल्थकेयर एक्सपर्ट डॉ. नरेंद्र सैनी की मानें तो सेनिटाइजर वही अच्छा है, जिसमें 60 से 70 प्रतिशत तक एल्कोहल हो.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व महासचिव डॉ. नरेंद्र सैनी कहते हैं कि सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि सेनिटाइजर कितना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हैंड हाइजीन यानी हाथ की सफाई बहुत जरूरी है. लेकिन हाथ की सफाई के लिए केवल सेनिटाइजर ही जरूरी नहीं है. अगर पानी और साबुन से हाथ धोते हैं तो सबसे अच्छा है. साबुन-पानी से रगड़ कर अच्छी तरह हाथ धोना बहुत जरूरी है. पानी नहीं मिल रहा है तब सेनिटाइजर का प्रयोग करना है. यानी सेनिटाइजर का प्रयोग ऑप्शन के रूप में करना है. जैसे यात्रा करते वक्त या कहीं रास्ते में जा रहे हैं तब.
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बाजार में मिलने वाले तरह-तरह के सेनिटाइजर और एल्कोहल के दावे पर उन्हेंने कहा कि आज कल कुछ लोग दावा करते हैं कि उनके सेनिटाइजर में 100 प्रतिशत एल्कोहल है. जबकि एल्कोहल की मात्रा 60 से 70 प्रतिशत तक होनी चाहिए. उससे कम या ज्यादा है तो नहीं लेना चाहिए. एल्कोहल कम होगा तो वायरस नहीं मरेगा और अधिक होने पर एलर्जी हो सकती है या हाथों को नुकसान पहुंच सकता है. सेनिटाइजर में एल्कोहल के साथ पानी का होना बहुत जरूरी है. इसके अलावा कई बार सेनिटाइजर में मिथेनॉल का प्रयोग करते हैं, वो हाथों के लिए हानिकारक हो सकता है. उससे आपके सिर में दर्द, दिमाग से संबंधित परेशानी आदि आ सकती है.
पुलिस के डर से नहीं सुरक्षित रखने के लिए लगाएं मास्क
प्रसार भारती से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब सभी को पता है कि मास्क पहनना है और 80 प्रतिशत लोग मास्क पहन रहे हैं. लेकिन उसमें से ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो इसलिए पहन रहे हैं क्योंकि सरकार ने कहा है. कई लोग पुलिस के डर से मास्क लगा रहे हैं. उनका मास्क नाक के नीचे रहता है. अगर नाक या मुंह कोई भी खुला रहा तो वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है और व्यक्ति को लगेगा कि मास्क लगाया था, सभी नियमों का पालन किया फिर भी वायरस का संक्रमण हो गया. आपके सामने अगर कोई भी अच्छे से मास्क नहीं पहना है, तो उसे बताएं कि मास्क लगाना कितना जरूरी है. मास्क को रोजाना बदलना भी है. सर्जीकल मास्क है तो दूसरा प्रयोग करें. घर का है तो धोकर दोबारा प्रयोग कर सकते हैं.
वायरस के तीन नए लक्षण
डॉ. नरेंद्र सैनी ने जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका की सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल ने 3 नए लक्षणों के बारे में बताया है. दरअसल यह एक नई बीमारी है और धीरे-धीरे हमें इस बीमारी के बारे में पता लग रहा है. पांच महीनों में हमें नए-नए लक्षणों के बारे में पता चला. नए लक्षण जो लोगों में और पाए जाने लगे हैं उनमें पहला रनिंग नोज़ यानी नाक का बहना, दूसरा नॉज़िया यानी जी मितलाना, उल्टी जैसा लगना और तीसरा डायरिया है. ये तीन नए लक्षण काफी लोगों में पाए गए हैं. कुल मिलाकर कॉमन सिम्पटम्स बुखार, खांसी, सांस में तकलीफ व थकान हैं. 70 प्रतिशत लोगों को ये लक्षण दिखे. फिर गले में इंफेक्शन आंखों में कंजक्टीवाइटिस , फिर सिर दर्द, स्वाद व सुगंध का पता नहीं लगना, स्किन रैश के लक्षण भी मिले.
डायबिटीज़ के मरीज को खास सलाह
वहीं उन्होंने डायबिटीज़ वाले मरीजों को लेकर कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा डायबिटीज़ के मरीज भारत में हैं. अगर डायबिटीज़ के मरीज को कोरोना हो गया तो उनके शरीर में संक्रमण गंभीर रूप से फैलता है. डायबिटीज़ वालों को अपनी शुगर लेवल कंट्रोल कर के रखना है, क्योंकि इन दिनों फिजिकल एक्टिविटी नहीं हो रही है. ऐसे मरीज जो 60 साल से अधिक हैं, उनको सबसे ज्यादा सतर्क रहना है. दूसरों से करीब 3 फीट की दूरी बनाकर रखें. मास्क लगायें और हैंड सेनिटाइज करें. घर का कोई व्यक्ति बाहर जाता है तो डायबिटीज़ के मरीज उनसे सीधे संपर्क में आने से बचें.
कोरोना से दहशत शरीर के लिए हानिकारक
उन्होंने कहा कि हाल ही में कोरोना के कुछ नए लक्षण सामने आये, उसकी वजह से लोगों को अब कुछ भी होता है, तो वो दहशत में आ जाते हैं. सोचते हैं कहीं वे कोरोना से संक्रमित तो नहीं हो गए. दहशत से एंज़ाइटी पैदा होती है, दहशत से डिप्रेशन होता है, इससे शुगर, ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, दहशत में नींद नहीं आयेगी तो स्वस्थ महसूस नहीं करेंगे. यह समझिए कि अब तक जितने लोगों को कोरोना हुआ उनमें 60 प्रतिशत को तो दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ी और वो ठीक हो गए.