Karva Chauth Special 2019: लिव-इन-रिलेशनशिप में रहनेवाली लड़कियां क्या रह सकती हैं करवा चौथ का व्रत? आइए जानें क्या कहते हैं पुरोहित-शास्त्री!
इन दिनों महानगरों में लाइफ स्टाइल तेजी से बदल रही है. लड़कियों में जॉब के प्रति बढ़ते रुझान एवं विभिन्न कारणों से उत्पन्न आवासीय समस्याओं के कारण अकसर लड़के-लड़कियां एक ही फ्लैट और एक ही कमरे में रहने के लिए मजबूर होते हैं. विपरीत सेक्स के आकर्षण से बहुत जल्दी उनके बीच दैहिक संबंध बन जाते हैं.
Karva Chauth Special 2019: इन दिनों महानगरों में लाइफ स्टाइल तेजी से बदल रही है. लड़कियों में जॉब के प्रति बढ़ते रुझान एवं विभिन्न कारणों से उत्पन्न आवासीय समस्याओं के कारण अकसर लड़के-लड़कियां एक ही फ्लैट और एक ही कमरे में रहने के लिए मजबूर होते हैं. विपरीत सेक्स के आकर्षण से बहुत जल्दी उनके बीच दैहिक संबंध बन जाते हैं. लिव इन रिलेशनशिप में अकसर रिश्तों की बॉन्डिंग पति-पत्नी जितनी मधुर बन जाती है. वे एक दूसरे के लिए इतने फिक्रमंद हो जाते हैं कि करवा चौथ जैसा व्रत भी रखने लगते हैं. करवा चौथ व्रत वस्तुतः शादी-शुदा पत्नी द्वारा पति की अच्छी सेहत और दीर्घायु के लिए रखी जाती है. ऐसे में एक अविवाहित जोड़ा जो पति-पत्नी की तरह रहता है, बिना सुहागन बनें क्या करवा चौथ का व्रत रह सकता है? इस संदर्भ में दिल्ली के पुरोहित क्या कहते हैं आइए जानें...
भारत के अधिकांश हिस्सों में शादी-शुदा हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र एवं अच्छे सेहत के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इससे दांपत्य रिश्ते ज्यादा मधुर बनते हैं. यद्यपि सनातन धर्म में इस तरह के और भी कई व्रत एवं पर्व भारत में वर्षों से मनाए जा रहे हैं. इस परिप्रेक्ष्य में करवा चौथ का व्रत सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. यह व्रत करते हुए सुहागन औरतें भगवान शिव-पार्वती एवं श्रीगणेश जी से कामना करती हैं कि उनके पति का जीवन लंबी हो. हिंदू पत्नियां सूर्योदय के पूर्व से चंद्रोदय होने तक निर्जल उपवास रखती हैं. पूरे दिन अन्न-जल का त्याग कर पति की उम्र, सेहत और अच्छे करियर के लिए भगवान से कामना करती हैं.
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‘आज जब बदले हुए परिवेश में विभिन्न कारणों से बहुसंख्य युवा पीढ़ी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तो करवा चौथ जैसा व्रत सुहागनों तक सीमित नहीं रह गया है. युवा पीढ़ी के गर्ल फ्रेंड और ब्वॉय फ्रेंड एक दूसरे के लिए करवा चौथ का व्रत रखने लगे हैं और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से इसमें कुछ भी गलत नहीं है.’ शास्त्री जी आगे बतलाते हैं, अगर भारतीय समाज में कोई जोड़ा बिना विवाह किए एक छत के नीचे एक ही बेड शेयर करते हुए पति-पत्नी की तरह रहने का वैधानिक अधिकार रखते हैं तो एक दूसरे की सेहत की रक्षा के लिए ईश्वर की पूजा एवं व्रत रखने में बुराई ही क्या है. यह तो करवा चौथ पर आस्था का मुद्दा है. हम ईश्वर के प्रति किसी भी भक्त की आस्था पर सवाल उठाने अथवा प्रहार करने वाले होते कौन हैं? अगर भगवान को उनमें सच्ची आस्था एवं निष्ठा का अहसास होता है तो वह उन्हें जरूर आशीर्वाद देंगे. करवा माता उनकी भी मनोकामना पूरी करेंगी. हमारा सनातन धर्म, हमारा कानून विशेषकर उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में हमेशा से उदार रहा है.’