Ganga Saptami 2024: आज है गंगा सप्तमी! जानें गंगा सप्तमी पर बन रहे दो शुभ योग, महत्व, मंत्र, मुहूर्त, इतिहास एवं सेलिब्रेशन के बारे में!
सनातन धर्म में गंगा सप्तमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को मनाये जाने वाले इस पर्व में पतित-पावनी गंगाजी की पूजा-अनुष्ठान होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माँ गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी मनाया जाता है.
सनातन धर्म में गंगा सप्तमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी को मनाये जाने वाले इस पर्व में पतित-पावनी गंगाजी की पूजा-अनुष्ठान होती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माँ गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी मनाया जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार इस वर्ष गंगा सप्तमी पर कुछ विशेष योग बन रहे हैं. इस काल में गंगा-स्नान एवं गंगा-पूजन करने से जातक के सभी कष्ट नष्ट होते हैं, एवं घर-परिवार में सुख एवं शांति आती है. इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई 2024, को पड़ रहा है. आइये जानते हैं गंगा सप्तमी का महात्म्य, मुहूर्त, एवं पूजा-विधि के बारे में...
गंगा सप्तमी का महत्व
गंगा सप्तमी को गंगा-पूजन एवं गंगा के पुनर्जन्म के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है. मान्यता है कि मां गंगा पाप नाशिनी हैं और गंगा स्नान से सारे पाप नष्ट होने के साथ-साथ जीवन में सुख एवं समृद्धि आती है. इसलिए कोशिश कर गंगा नदी में स्नान करने का अवसर नहीं चूकना चाहिए. मान्यता है कि गंगा-स्नान और गंगा-पूजन करने से भगवान श्रीहरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है. गौरतलब है कि जिस दिन माँ गंगा की उत्पत्ति हुई, उस दिन गंगा सप्तमी और जिस दिन गंगा जी पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, उस दिन गंगा दशहरा मनाते हैं. यह भी पढ़ें : Ganga Saptami 2024 Messages: हैप्पी गंगा सप्तमी! अपनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, GIF Greetings, Quotes और Photo SMS
गंगा सप्तमी का इतिहास
पौराणिक कथाओं में गंगा को प्रबल वेग के बारे में भी जाना जाता है. पृथ्वी पर अवतरण के समय भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में आश्रय दिया था. जटाओं में आश्रय पाने के बावजूद गंगा की एक लहर पृथ्वी पर गिर पड़ी, उस लहर के प्रबल प्रवाह से सर्वनाश-सा दृश्य उत्पन्न हो जाता है, गंगा प्रवाह में ऋषि जाह्नु का आश्रम और खेत बह गया. तब ऋषि ने क्रोधित होकर संपूर्ण गंगा को उदरस्थ कर लिया. हालांकि गंगा अवतरण का मुख्य उद्देश्य भगीरथ द्वारा 60 हजार मृत पुत्रों को मोक्ष दिलाना था. गंगा के लोप होने से सर्वत्र त्राहिमाम् मच गया. लोगों ने ऋषि जाह्नु के समक्ष प्रार्थना की, तब उन्होंने गंगा को स्वतंत्र कर दिया. इसी वजह से गंगा का एक नाम जाह्नवी भी है.
गंगा सप्तमी 2024 शुभ मुहूर्त
गंगा सप्तमी तिथि प्रारंभः 02.50 AM (14 मई 2024, मंगलवार) से
गंगा सप्तमी तिथि समाप्तः 04.19 AM (15 मई 2024, बुधवार) तक
उदया तिथि के अनुसार 14 मई को गंगा सप्तमी मनाई जाएगी.
इस दिन बन रहे हैं ये शुभ योग
पुष्य नक्षत्रः प्रारंभ 11.23 AM (13 मई 2024) और समापन 01.05 PM (14 मई 2024) को होगा.
सर्वार्थ सिद्धि योगः 01.05 PM (14 मई 2024) और समाप्त 05.30 AM (15 मई 2024) को होगा.
ऐसे सेलिब्रेट करें गंगा सप्तमी
* गंगा सप्तमी पर गंगा-स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन यदि गंगा नदी उपलब्ध नहीं है तो सच्ची श्रद्धा एवं आस्था के साथ घर पर भी गंगा-स्नान का पुण्य हासिल किया जा सकता है.
* गंगा सप्तमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेना आवश्यक है.
* घर पर सामान्य जल में कुछ बूंदे गंगाजल की मिलाने से गंगा-स्नान का पुण्य प्राप्त हो सकता है.
* गंगा-स्नान (गंगाजल मिले पानी में भी) के दरम्यान मन को शांत रखें, और निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए गंगा-स्नान करें.
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
* स्नान के पश्चात गंगा का ध्यान कर एक दीपक जलाएं
* घर के हर हिस्से में गंगाजल का छिड़काव करें.
* घर में गंगा जी की तस्वीर हो तो उन्हें रोली का तिलक लगाकर पुष्प हार पहनाएं. मिष्ठान चढ़ाएं एवं माँ गंगा की आरती उतारें.