Food Poisoning- गर्मी की आम बीमारी, फूड प्वाइजनिंग से बचने के 7 अचूक घरेलू उपचार!

तेज चिलचिलाती गर्मी में अक्सर लोगों को फूड प्वाइजनिंग की शिकायत हो जाती है. फूड पॉइजनिंग को फूड बोर्न इलनेस भी कहते हैं. अमूमन यह बीमारी दूषित अथवा बासी या अधपका मांस खाने से होती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

तेज चिलचिलाती गर्मी में अक्सर लोगों को फूड प्वाइजनिंग की शिकायत हो जाती है. फूड पॉइजनिंग को फूड बोर्न इलनेस भी कहते हैं. अमूमन यह बीमारी दूषित अथवा बासी या अधपका मांस खाने से होती है. दूषित खाने में बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट होते हैं, जो खाने को टॉक्सिक बनाते हैं. दिल्ली स्थित डॉ जितेंद्र सिंह के अनुसार यह बीमारी अमूमन बहुत गंभीर नहीं होती, बहुत से लोग बिना उपचार के भी दो दिन में सामान्य हो जाते हैं, लेकिन यदि पीड़ित व्यक्ति को दो दिन में आराम नहीं मिलता है तो किसी विशेषज्ञ को अवश्य दिखा दें. फिलहाल निम्न उपचारों से भी फूड प्वाइजनिंग पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

फूड प्वाइजनिंग के लक्षण

डॉ जितेंद्र सिंह बताते हैं कि अगर किसी को उल्टी, मतली, दस्त, पेट दर्द, बुखार, लूज मोशन, भूख कम अथवा नहीं लगना, मसल्स में दर्द आदि के लक्षण दिखें तो समझ लीजिये, वह फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो चुका है. उसे निम्न घरेलू उपचार से राहत दिलाई जा सकती है.

सेब साइडर सिरका (Apple Cider Vinegar)

सेब का सिरका अपने क्षारीय प्रभाव के कारण खान-पान में हुई विषाक्तता को कुछ हद तक दूर करता है. सेब के सिरका में निहित क्षार आपके पेट की बढ़ी हुई अम्लता को संतुलित करता है. इसके सेवन का तरीका बहुत आसान है. एक प्याला गुनगुना पानी में 2 से 3 छोटा चम्मच सेब का सिरका मिलाकर खाना खाने से पहले पी लें. पेट की गर्मी शांत होगी.

अदरक (Ginger)

अदरक अपने नेचुरल तीखे स्वाद के कारण फूड प्वाइजनिंग के असर को कम करता है. एक प्याला पानी में एक चम्मच किसा हुआ अदरक डालकर उबालें. स्वाद के लिए इस में शक्कर अथवा शहद मिलायें. आपको रिलीफ मिलेगी. वैसे आप आधा इंच अदरक का टुकड़ा करके उसे छील कर भी थोड़ा-थोड़ा चबा सकते हैं.

दही मेथी दाना (Yogurt and Fenugreek Seeds)

फूड प्वाइजनिंग से पीड़ित व्यक्ति को दही-मेथी दाने का सेवन कराने से उसे लाभ मिलेगा. क्योंकि दही में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जबकि मेथी के दाने में उच्च क्वालिटी के घुलनशील फाइबर होते हैं, जो पानी को अवशोषित करती है, जिससे भोजन का नली में आगे जाने में मदद मिलती है. एक चम्मच मेथी दाने को आधा प्याला दही में रात भर के लिए भिगो दें, सुबह उठकर मेथी दाने को बिना चबाए निगल जायें और दही को खा लें.

नींबू (Lemon)

आयुर्वेद में नींबू को औषधियों का राजा कहा जाता है. नींबू में एंटीवायरल एवं जीवाणुरोधी गुण होने से इसका किसी भी रूप में सेवन करें. भोजन की विषाक्तता दूर होगी. आप चाहे तो एक चम्मच नींबू के रस में शक्कर मिलाकर पी जायें. इसे आप गुनगुना करके भी पी सकते हैं.

केला (Bananas)

केला फूड प्वाइजनिंग को नियंत्रित करने का सबसे पुराना मगर बहुत पुराना उपचार है. केले में युक्त पोटैशियम और फाइबर खाद्य की विषाक्तता को तेजी से नियंत्रण में लेता है. आप पूरे दिन में कम से कम दो केला अथवा एक गिलास केला-शेक ले सकते हैं.

लहसुन (Garlic)

नींबू की तरह लहसुन भी सौ रोगों का अकेला इलाज है. लहसुन अपने मजबूत एंटीवायरल, जीवाणुरोधी एवं एंटीफंगल गुणों के कारण यह दस्त और पेट दर्द से राहत दिलाता है. आप प्रतिदिन एक कली कच्चे लहसुन को रोजाना एक गिलास गुनगुने पानी के साथ निगल लें. क्योंकि यह बहुत तीखा होता है आप चबा नहीं सकेंगे. आप रात में सोने से पूर्व कुछ बूंद लहसुन का रस पीकर ऊपर से थोड़ा पानी पी लें तो भी आप फूड प्वाइजनिंग से राहत पायेंगे.

शहद (Honey)

शहद में जीवाणुरोधी एवं एंटी फंगल गुण होते हैं, इसलिए फूड प्वाइजनिंग के लिए शहद सर्वोत्तम उपचार माना जाता है. एक चम्मच शहद दिन में तीन बार लें, अगर खालिस शहद पसंद नहीं तो नींबू और शहद की बिना दूध वाली चाय बनाकर पी लें, राहत मिलेगी

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