Yogini Ekadashi 2021 Wishes: योगिनी एकादशी पर श्रीहरि के इन WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की योगिनी एकादशी मनाई जा रही है. ऐसे में आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को बधाई न दें, ऐसा कैसे हो सकता है? इस अति पावन अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, वॉलपेपर्स को अपनों संग शेयर करके आप योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.

योगिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

Yogini Ekadashi 2021 Wishes: आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. आज श्रीहरि (Shree Hari) के भक्त योगिनी एकादशी का पर्व मना रहे हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के सभी सुखों को भोगने के बाद वह अंत में स्वर्गलोक को जाता है. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है. यह एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है. योगिनी एकादशी के उपवास के नियम की शुरुआत दशमी तिथि की रात से ही हो जाती है. इस व्रत में तामसिक भोजन करना वर्जित माना जाता है. इसके साथ ही इस व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है.

एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय है. आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की योगिनी एकादशी मनाई जा रही है. ऐसे में आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को बधाई न दें, ऐसा कैसे हो सकता है? इस अति पावन अवसर पर आप श्रीहरि के इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, वॉलपेपर्स को अपनों संग शेयर करके आप योगिनी एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- योगिनी एकादशी 2021

योगिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

2- योगिनी एकादशी 2021

योगिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

3- योगिनी एकादशी 2021

योगिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

4- योगिनी एकादशी 2021

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5- योगिनी एकादशी 2021

योगिनी एकादशी 2021 (Photo Credits: File Image)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें. योगिनी एकादशी के दिन श्रीहरि के पूजन में तुलसी दल की उपयोग जरूर करना चाहिए. पूजन के दौरान योगिनी एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए. इसके अलावा रात्रि जागरण कर भजन-कीर्तन करना चाहिए. पूजन के दौरान 'ओम् नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जप और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. इसके बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद ब्राह्मणों को भोजनादि करवाकर व्रत का पारण करना चाहिए.

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