National Fisherman's Day 2023: कब है राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस, क्या है सरकार की नीली क्रांति? जानें इसका इतिहास एवं उद्देश्य?
जहां तक विश्व स्तर पर मछली पालक दिवस की बात करें, तो प्रत्येक वर्ष 29 जून को अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है, भारत में मत्स्य उद्योग की अपरिमित संभावनाओं देखते हुए 10 जुलाई को भी राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है.
National Fisherman's Day 2023: भारत में मत्स्य पालन एक बहुत बड़ा उद्योग है. हमारा देश बहुत से देशों को मत्स्यों की आपूर्ति कर विदेशी पूंजी एकत्रित करता है. हालांकि अभी इस उद्योग के विकास की प्रबल संभावनाएं हैं. इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए देश में प्रत्येक वर्ष 10 जुलाई को राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य देश भर में मछली पालकों, मछुआरों और मछली पालन उद्योग से जुड़े अन्य व्यवसाय को सम्मान एवं सहयोग देना है. इस वर्ष भी 10 जुलाई 2023. सोमवार को पूरे देश में 23 वां राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाएगा. आइये जानते हैं इस दिवस विशेष के महत्व, इतिहास एवं इससे जुड़ी अन्य सुरुचि एवं महत्वपूर्ण बातें.. यह भी पढ़ें: सावन सोमवार की इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
क्या है इसका इतिहास
जहां तक विश्व स्तर पर मछली पालक दिवस की बात करें, तो प्रत्येक वर्ष 29 जून को अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है, भारत में मत्स्य उद्योग की अपरिमित संभावनाओं देखते हुए 10 जुलाई को भी राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस मनाया जाता है.
राष्ट्रीय मत्स्य पालन विकास बोर्ड के सहयोग से मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय बोर्ड के सहयोग से मनाया जाता है. राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस महान वैज्ञानिक डॉ. के एच अलीकुन्हीं और डॉ. एमएल चौधरी की स्मृति में प्रतिवर्ष मनाया जाता है. इन दोनों वैज्ञानिकों ने 10 जुलाई 1957 को भारतीय मेजर का कार्प (मछली की कई प्रजातियों के लिए सामान्य नाम) में प्रेरित प्रजनन तकनीक (Hypophysation) का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था.
राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस का उद्देश्य
इस दिवस विशेष को सेलिब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य स्थायी स्टॉक एवं स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को सुनिश्चित करने के लिए देश के मत्स्य संसाधनों के प्रबंधन के तकनीक को विकसित करने के बारे में ध्यान आकर्षित करना है. इस दिवस विशेष के आयोजनों में मत्स्य किसानों, उद्यमियों, मछुआरों और मत्स्य पालन उद्योग में योगदान के लिए मत्स्य पालन से जुड़े तमाम व्यक्तियों को सम्मानित प्रेरित किया जाता है, ताकि अपना कार्य वे और बेहतर तरीके से करें.
क्या है भारत सरकार की नीली क्रांति
देश में मछली पालन एक वृहद उद्योग है. देशभर में लाखों लोग आजीविका के लिए मछली पालन और इससे संबंधित कार्यों पर निर्भर हैं. इसलिए भारत सरकार ने देश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और ‘नीली क्रांति’ (Blue Revolution) द्वारा, आर्थिक क्रांति लाने की एक महत्वपूर्ण योजना को क्रियान्वित किया है, ताकि मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि, गुणवत्ता में सुधार और अपशिष्ट पदार्थों में कमी लाने के साथ किसानों की आय को बढ़ाया जा सके.
भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश
हालिया आंकड़ों के अनुसार भारत दुनिया में मत्स्य का तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जबकि विश्व का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है, विश्व मत्स्य उत्पादन में भारत 7.7 प्रतिशत योगदान देता है. साल 2017-18 तक भारत की मछली के कुल निर्यात लगभग 10% और कृषि निर्यात की करीब 20% हिस्सेदारी थी. मत्स्य पालन और जलीय कृषि उत्पादन भारत के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 1% और कृषि सकल घरेलू उत्पाद में 5% से अधिक का योगदान देता है, साथ ही बता दें कि भारत में करीब 28 मिलियन लोग मत्स्य पालन क्षेत्र के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.