When Is Muharram 2022 Starting In India: मोहर्रम कब है, और क्यों मनाया जाता है? आशूरा से मोहर्रम का क्या ताल्लुक है?
इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के पहले महीने को मोहर्रम कहते हैं. इस्लाम धर्म के अनुसार इस महीने की दसवीं तारिख यानी अशुरा के दिन इमाम हुसैन की स्मृति में भारत समेत दुनिया भर में जुलूस एवं ताजिया निकाले जाते हैं और उनकी शहादत को याद किया जाता है.
Muharram 2022 In India: इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के पहले महीने को मोहर्रम कहते हैं. इस्लाम धर्म के अनुसार इस महीने की दसवीं तारिख यानी अशुरा के दिन इमाम हुसैन की स्मृति में भारत समेत दुनिया भर में जुलूस एवं ताजिया निकाले जाते हैं और उनकी शहादत को याद किया जाता है. यद्यपि गत 2 वर्षों से कोविड-19 के कारण बहुत सी जगहों पर जुलूस नहीं निकाले जा सके थे, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार मोहर्रम का जोश लोगों के मन में खूब रहेगा, और पहले की तरह मोहर्रम के जुलूस निकाले जायेंगे. आइये जानते हैं मोहर्रम की सही तिथि का निर्धारण कैसे किया जाता है और क्यों मनाया जाता है दुनिया भर में मोहर्रम, एवं मोहर्रम के साथ आशुरा का क्या संबंध है.
कब शुरू होगा मोहर्रम?
इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मोहर्रम है. यदि 29 जुलाई को चांद नजर आया तो भारत में मोहर्रम 30 जुलाई से शुरू होगा अगर नजर नहीं आया तो 31 से ये पवित्र माह शुरू होगा. इस आधार पर इस बार आशुरा 8 या 9 अगस्त को आशुरा होगा. इसकी मुख्य वजह यह है कि इस्लामिक त्योहारों की तारीखें हर साल बदलती रहती हैं. इसलिए इस बार मुहर्रम की सही तिथि का पता जुलाई माह के अंत तक पता चल सकेगा.
कौन थे इमाम हुसैन:
इमाम हुसैन मानवता की सबसे अजीम शक्सियत में से एक हैं. वे हजरत अली और हजरत फातिमा के पुत्र थे. इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद (SAW) के वे नाती थे. वे कर्बला में शहीद हुए थे.
क्या है आशूरा और मोहर्रम का संबंध?
इस्लाम धर्म में चार माह बेहद पवित्र होते हैं. इसमें एक महीना मोहर्रम का है. मोहर्रम माह में दसवें दिन को आशूरा कहते हैं. इसी महीने इस्लामिक नववर्ष भी होता है. आशूरा इस्लामिक कैलेंडर का सबसे बुरा दिन माना जाता है. वस्तुतः यह मातम का पर्व होता है. आशूरा के दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में शिया मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग काले रंग के कपड़े पहनकर विभिन्न किस्मों के ताजिया के साथ जुलूस निकालते हैं. गौरतलब है कि इमाम हुसैन ने इस्लाम और मानवता के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी थी, इसी वजह से आशुरा को इस्लामिक कैलेंडर का सबसे बुरा दिन माना जाता है.