Vasu Baras 2021 Wishes in Hindi: कहा जाता है कि सनातन धर्म में गौ माता (Cow) की भक्ति और गौ-सेवा से बड़ा कोई अनुष्ठान नहीं है. गौ माता में सभी देवी-देवताओं का निवास माना गया है, इसलिए कहा जाता है कि गाय माता की पूजा और उनकी सेवा करने वालों को सभी देवी-देवताओं को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. भविष्य पुराण के अनुसार, गौ माता के पृष्ठदेश में ब्रह्म, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवी-देवता, रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में सभी पर्वत, नेत्रों में सूर्य-चंद्र, गौमूत्र में सभी पवित्र नदियों का वास है, इसलिए गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi) के दिन गौ माता और उसके बछड़े का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन गौ माता और उसके बछड़े की पूजा करने से सभी देवताओं का आशीर्वाद और पवित्र नदियों में स्नान करने जितना पुण्य प्राप्त होता है.
मान्यता है कि जो लोग गाय की सेवा, रक्षा और पूजन करते हैं उन पर हमेशा भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की कृपा बनी रहती है. धनतेरस (Dhanteras) से एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व को गोवत्स द्वादशी, बछ बारस (Bach Baras), वसु बारस (Vasu Baras) जैसे नामों से जाना जाता है. लोग इस दिन गाय को पूजा करने के अलावा शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी करते हैं. आप भी इन विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स और जीआईएफ इमेजेस को प्रियजनों के साथ शेयर करके उन्हें बछ बारस की हार्दिक बधाई दे सकते हैं.
1- गौ पाली तब ही बने, कान्हा जी गोपाल,
दूध-दही से वे करें, सबको मालामाल...
बछ बारस की हार्दिक बधाई
2- गोबर से बढ़िया नहीं, खाद दूसरी कोय,
डालोगे गर यूरिया, लाख बीमारी होय...
बछ बारस की हार्दिक बधाई
3- बची नहीं गायें अगर, ऐसा होगा हाल,
तरसेंगे फिर दूध को, इस माटी के लाल...
बछ बारस की हार्दिक बधाई
4- जब भी हो अंतिम समय, करिए गैया दान,
हमको यह समझा रहे, अपने वेद पुराण...
बछ बारस की हार्दिक बधाई
5- गायों की सेवा करो, रोज नवाओ शीश
खुश होकर देंगी तुम्हें, वे लाखों आशीष
बछ बारस की हार्दिक बधाई
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी मनाई जाती है. इस पर्व को धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस दिन गौ माता के साथ-साथ उनके बछड़ों की सेवा की जाती है. यह एक अनूठा उत्सव है, क्योंकि इस दिन लोग मानव जीवन के निर्वाह में गायों के योगदान के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं. इसके अलावा इस दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली और सलामती के लिए गोवत्स द्वादशी का व्रत कर गाय और बछड़ों का पूजन करती हैं.