Kumbh Mela 2019 का हुआ आगाज, साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने किया पहला शाही स्नान
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत हो चुकी है. मकर संक्रांति के अवसर पर साधु सन्यासी पहले शाही स्नान के लिए पहुंचे. आज के दिन संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयागराज में शाही स्नान की शुरुआत शंखनाद कर की गई...
प्रयागराज (Prayagraj) में कुंभ (Kumbh 2019 ) की शुरुआत हो चुकी है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर साधु सन्यासी पहले शाही स्नान के लिए पहुंचे. आज के दिन संगम में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयागराज में शाही स्नान की शुरुआत शंखनाद कर की गई. 13 अखाड़ों के सभी साधु अपने मुहूर्त के अनुसार संगम में डुबकी लगा रहे हैं. धर्म के इस महा मेले में हर इंसान आकर एक बार डुबकी जरुर लगाना चाहता है. कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालू बहुत दूर- दूर से संगम में स्नान के लिए आए हैं. कुंभ का यह मेला लोगों का मन मोह लेता है. कुंभ में नागा साधु की जटाएं और उनके शरीर पर लगा भभूत लोग देखते रह जा रहे हैं. प्रयागराज कुंभ में साधु संतों को घूमते हुए देखकर ऐसा लगता है जैसे ऋषि मुनियों के काल में पहुंच गए हो. यहां आने से अप्रतिम सुख और शान्ति की अनुभूति होती है. निरंजन और आनंद अखाड़े ने बड़ी ही धूम- धाम से अपनी पेशवाई निकालते हुए संगम तट पर शाही स्नान किया.
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इस बार कुंभ में हाईटेक सुविधाओं का आयोजन किया गया है. लोगों की सुविधा और सुरक्षा का ख्याल रखते हुए संगम पर अस्पताल बनाए गए हैं. इस अस्पताल में 100 बेड लगाए गए हैं. कुंभ में 40000 एलईडी लाइट्स लगाई गई है. यहां लेजर शो के जरिए सांस्कृतिक कार्यक्रम भी दिखाए जाएंगे.
माना जाता है कि कुंभ का आयोजन राजा हर्षवर्धन के राज्यकाल (664 ईसा पूर्व) में आरंभ हुआ था. प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेंगसांग ने अपनी भारत यात्रा का उल्लेख करते हुए कुंभ मेले के आयोजन का उल्लेख किया है. साथ ही उसने राजा हर्षवर्द्धन की दानवीरता का भी जिक्र किया है. ह्वेंगसांग ने कहा है कि राजा हर्षवर्द्ध हर 5 साल में नदियों के संगम पर एक बड़ा आयोजन करते थे, जिसमें वह अपना पूरा कोष गरीबों और धार्मिक लोगों में दान दे देते थे.