Swami Dayananda Saraswati Jayanti 2024 Quotes: महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती आज, अपनों संग शेयर करें उनके ये 10 अनमोल विचार
स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक, देशभक्त और एक महान लेखक भी थे, जिन्होंने अपने विचार और चिंतन को प्रसिद्ध पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' में व्यक्त किया था. उनका मानना था कि संसार का संपूर्ण ज्ञान वेदों में समाहित है. उन्होंने वेदों को सच्चा और सभी धर्मों से हटकर बताया था. स्वामी दयानंद सरस्वती के इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर आप सही मायनों में उनकी जयंती मना सकते हैं.
Swami Dayananda Saraswati Jayanti 2024 Quotes in Hindi: आज (5 मार्च 2024) महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती (Maharishi Dayananda Saraswati Jayanti) मनाई जा रही है. हिंदू पंचांग के अनुसार, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayananda Saraswati) का जन्म फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था, लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक, स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के काठियावाड़ जिले के टंकारा गांव में एक ब्राह्मण परिवार के घर हुआ था. बताया जाता है कि बचपन में दयानंद सरस्वती को मूलशकंर के नाम से पुकारा जाता था. स्वामी दयानंद सरस्वती बचपन से ही काफी प्रतिभावान थे. एक घटना के बाद शिव की तलाश में वो घर छोड़कर चले गए और करीब 15 साल तक भटकने के बाद उन्होंने स्वामी पूर्णानंद सरस्वती से दीक्षा ग्रहण की, जिसके बाद वो मूलशंकर से स्वामी दयानंद सरस्वती बन गए.
स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान समाज सुधारक, देशभक्त और एक महान लेखक भी थे, जिन्होंने अपने विचार और चिंतन को प्रसिद्ध पुस्तक 'सत्यार्थ प्रकाश' में व्यक्त किया था. उनका मानना था कि संसार का संपूर्ण ज्ञान वेदों में समाहित है. उन्होंने वेदों को सच्चा और सभी धर्मों से हटकर बताया था. स्वामी दयानंद सरस्वती के इन 10 महान विचारों को अपनों संग शेयर कर आप सही मायनों में उनकी जयंती मना सकते हैं.
1- उपकार बुराइयों को दूर करता है, सदाचार की आदत को प्रारंभ करता है, समाज कल्याण और सभ्यता को संपादित करता है.
2- जीभ से वही निकलना चाहिए जो अपने हृदय में है.
3- सेवा का उच्चतम रूप एक ऐसे व्यक्ति की मदद करना है, जो बदले में धन्यवाद देने में असमर्थ है.
4- मनुष्य को दिया गया सबसे बड़ा संगीत वाद्य, उसकी आवाज है.
5- आत्मा एक है, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं.
6- पूरी तरह से अंधविश्वासी होने के बजाय वर्तमान जीवन में कर्म को महत्व दें.
7- दुनिया को आप अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए, आपके पास भी सर्वश्रेष्ठ ही लौट कर आएगा.
8- ईश्वर का न तो रूप है और न ही रंग, वह दिव्य और अपार है. दुनिया में जो कुछ भी दिखाई दे रहा है वह उसकी महानता का वर्णन करता है.
9- नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है, उससे मिलने वाली सीख को कभी ना भूलना. यह चीज आपको सही मायने में विजेता बनाएगी.
10- अज्ञानी होना गलत नहीं है, अज्ञानी बने रहना गलत है.
गौरतलब है कि सन 1875 में उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों और रूढ़िवादी परंपराओं के खिलाफ आवाज उठाते हुए आर्य समाज की स्थापना की थी. उन्होंने प्राचीन हिंदू रूढ़िवादिता, जातिगत कठोरता, अस्पृश्यता, मूर्तिपूजा, कर्मकांड जैसी चीजों की कड़ी आलोचना की थी. इसके साथ ही उन्होंने अंतर्जातिय विवाह और विधवा विवाह का समर्थन किया था. उन्होंने स्वराज का नारा दिया था, जिसे लोकमान्य तिलक ने आगे बढ़ाया था. कहा जाता है कि करीब 17 बार जहर देकर स्वामी दयानंद सरस्वती की जान लेने की कोशिश की गई थी. उन्होंने सन 1883 में दीपावली के दिन अंतिम सांस ली थी.