Sri Guru Granth Sahib Ji Parkash Utsav 2021 Quotes: श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का 471वां प्रकाश उत्सव, इस अवसर पर पढ़ें ये 5 शबद
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बाद में छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी मे श्री गुरु ग्रंथ साहिब में रामकली की वार को जोड़ा. दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र ग्रंथ में गुरु तेग बहादुर के भजन जोड़े. श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 417वां प्रकाश पर्व के इस खास अवसर पर आप इन 5 शबद को पढ़ सकते हैं.
Sri Guru Granth Sahib Ji Parkash Utsav 2021 Quotes: दुनिया भर में सिख समुदाय (Sikh community) के लोग आज यानी 7 सितंबर 2021 को श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का 417वां प्रकाश पर्व (417th Parkash Purab of Sri Guru Granth Sahib ji) मना रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास के 15वें दिन यानी अमावस्या को प्रकाश उत्सव (Parkash Utsav) मनाया जाता है, जो नानकशाही कैलेंडर का छठा महीना है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, आमतौर पर इस पर्व को अगस्त या सितंबर महीने में मनाया जाता है. गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) सिख धर्म का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है, जिसे सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जन देव जी (Sri Guru Arjan Dev Ji) द्वारा संकलित किया गया था. 29 अगस्त 1604 को इसका संकलन पूरा हुआ और 1 सितंबर 1604 को स्वर्ण मंदिर में पवित्र ग्रंथ स्थापित किया गया था.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में बाद में छठे गुरु, श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी मे श्री गुरु ग्रंथ साहिब में रामकली की वार को जोड़ा. दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र ग्रंथ में गुरु तेग बहादुर के भजन जोड़े. श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 417वां प्रकाश पर्व के इस खास अवसर पर आप इन 5 शबद को पढ़ सकते हैं.
1- "Ek Onkaar Satnaam, Kartaa Purakh Nirbhoh Nirvair, Akaal Moorat Ajooni, Saibhang, Gur Prasaad Jap, Aad Sach Jugaad Sach, Hai Bhee Sach Naanak Hosee Bhee Sach."
2- "Lakh Khushian Patshahian Je Satgur Nadar Kare"
3- "Dukh Mein Simran Sab Kare Dukh Mein Kare Na Koye, Jo Sukh Mein Simran Kare toh Dukh Kahe Ko Hoye."
4- "Dithe Sabhe Thav Nahi Tudh Jeheya"
5- "Ik Til Prabhu Na Visare, Jin Sab Kuch Dina Ram"
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में 1,430 अंग (पृष्ठ) और 5,894 शबद हैं. पवित्र ग्रंथ 31 मुख्य रागों में विभाजित है. ग्रंथ साहिब की शुरुआत पहले गुरु नानक देव के साथ उनके पवित्र भजनों के संग्रह के रूप में हुई थी. शास्त्र को आदि ग्रंथ के रूप में जाना जाता था और बाद के गुरुओं द्वारा जोड़ा गया था. धार्मिक जुलूस, जिसे नगरकीर्तन कहा जाता है. इस अवसर पर पंजाब के विभिन्न शहरों खासकर अमृतसर में आयोजित किया जाता है.