Shab E Meraj Mubarak 2024 Messages: शब-ए-मेराज की अपनों को इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें मुबारकबाद
रजब की 27 तारीख को पैंगबर मोहम्मद साहब ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा को कुछ ही घंटों में तय कर लिया था, उसके बाद उन्होंने सातों आसमानों की यात्रा करके अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. शब-ए-मेराज इस्लाम धर्म में खास महत्व रखता है, इसलिए इसकी मुबारकबाद दी जाती है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए शब-ए-मेराज मुबारक कह सकते हैं.
Shab E Meraj Mubarak 2024 Messages in Hindi: इस्लाम धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्वों में शब-ए-मेराज का अपना एक अलग महत्व बताया जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रजब महीने की सत्ताइसवीं रात यानी 27 तारीख को शब-ए-मेराज का त्योहार मनाया जाता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से इस साल भारत में 7 फरवरी 2024 (बुधवार) को शब-ए-मेराज का त्योहार मनाया जा रहा है. 'शब-ए-मेराज' (Shab-e-Miraj) को 'लैलत अल मिराज' (Lailat Al Miraj) या 'द नाइट ऑफ एसेंट' (The Night of Ascent) भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी पाक रात पैगंबर मोहम्मद (Prophet Muhammad) साहब ने सातों आसमानों की यात्रा करते हुए जन्नत में सशरीर अल्लाहतआला से मुलाकात की थी, इसलिए इस घटना को चमत्कारिक और महत्वपूर्ण माना जाता है.
रजब की 27 तारीख को पैंगबर मोहम्मद साहब ने मक्का से येरुशलम की चालीस दिन की यात्रा को कुछ ही घंटों में तय कर लिया था, उसके बाद उन्होंने सातों आसमानों की यात्रा करके अल्लाहतआला के दर्शन प्राप्त किए थे. शब-ए-मेराज इस्लाम धर्म में खास महत्व रखता है, इसलिए इसकी मुबारकबाद दी जाती है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए शब-ए-मेराज मुबारक कह सकते हैं.
1- रहमतों की है ये रात,
नमाजों का रखना साथ,
मनवा लेना रब से हर बात,
और दुआओं में रखना याद.
शब-ए-मेराज मुबारक
2- आज एक हंसी और बांट लो,
आज एक दुआ और मांग लो,
आज एक आंसू और पी लो,
आज एक जिंदगी और जी लो,
आज एक और सपना देख लो,
क्योंकि क्या पता कल हो ना हो.
शब-ए-मेराज मुबारक
3- किस्मत बदल जाएगी, जरा दिल से दुआ करो,
दुनिया भी हिल जाएगी, अगर दिल से दुआ करो,
दिन रात में एक लम्हा कबूलियत की घड़ी है,
मंजिल भी मिल जाएगी, अगर दिल से दुआ करो.
शब-ए-मेराज मुबारक
4- किसकी है आमद आज,
आसमान के सर पर,
बहुत देर से चांद भी,
मुस्कुराए जा रहा है.
शब-ए-मेराज मुबारक
5- या अल्लाह इससे पहले कि ये दुनिया मुझे रुसवा कर दे,
तू मेरे जिस्म, मेरी रूह को अच्छा कर दे,
ये जो हालत है मेरी, मैंने बनाई है मगर,
जैसा तू चाहता है अब मुझे वैसा कर दे,
मेरे हर फैसले में तेरी रजा शामिल हो,
जो तेरा हुक्म हो, वो मेरा इरादा कर दे.
शब-ए-मेराज मुबारक
कहा जाता है कि इस्लामिक चंद्र कैलेंडर के रजब महीने की 27वीं रात को अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात हुई थी, इसलिए इस रात को मुहम्मद सल्लल्लाह अलैह व सल्लम की अल्लाह से मुलाकात की पाक रात भी कहा जाता है. इस पर्व को दुनिया भर के मुसलमान बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस रात मस्जिदों में विशेष प्रार्थनाओं का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि पैगंबर मोहम्मद साहब की इस यात्रा के दो भाग हैं, जिसके पहले हिस्से को इसरा और दूसरे हिस्से को मेराज कहा जाता है.