गणतंत्र दिवस की 71वीं वर्षगांठ! जानें गणतंत्र दिवस में कब और क्या-क्या हुए परिवर्तन! इस बार सबकी नजरें क्यों है ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर!
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत आज अपनी 71वीं वर्षगांठ पूरी धूमधाम के साथ मना रहा है. इस परंपरागत पर्व की प्रतीक्षा हर देशप्रेमी को शिद्दत से रहती है. जिस तरह लाल पत्थरों से निर्मित अनमोल लाल किला स्वतंत्रता दिवस का मूक गवाह माना जाता है, वहीं गणतंत्र दिवस का प्रमुख गवाह राजपथ रहा है.
विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत आज अपनी 71वीं वर्षगांठ पूरी धूमधाम के साथ मना रहा है. इस परंपरागत पर्व की प्रतीक्षा हर देशप्रेमी को शिद्दत से रहती है. जिस तरह लाल पत्थरों से निर्मित अनमोल लाल किला स्वतंत्रता दिवस का मूक गवाह माना जाता है, वहीं गणतंत्र दिवस का प्रमुख गवाह राजपथ रहा है. गणतंत्र दिवस का मुख्य आकर्षण यहां का भव्य परेड होता है, जिसमें भारतीय सेना के विभिन्न रेजिमेंट, जल, थल एवं वायुसेना के सैनिक भाग लेते हैं. इनके अलावा परेड में देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कैडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों के बच्चे भी आते हैं. समारोह में भाग लेना एक सम्मान की बात होती है. परेड के बाद राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी जाती है, लेकिन कम लोगों को पता होगा कि राजपथ पर गणतंत्र दिवस की शुरुआत 1955 से हुई, और आज तक जारी है. 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस का सेलीब्रेशन कहां होता था, इसके अलावा इस बार के गणतंत्र दिवस पर सबकी नजरें क्यों होंगी नेशनल वॉर मेमोरियल पर, आइये देखते हैं.
भारत का वह पहला गणतंत्र दिवस:
26 जनवरी 1950 को देश में पहली बार गणतंत्र दिवस मनाया गया. इस समारोह की तैयारी 19 दिन पूर्व यानी 7 जनवरी से शुरु हो चुकी थी. लेकिन इसका आयोजन स्थल था नई दिल्ली स्थित इर्विन स्टेडियम, जो आज नेशनल स्टेडियम के नाम से मशहूर है. राष्ट्र के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने यहीं पर तिरंगा फहराया था, उस समय लगभग तीन हजार जवानों ने उन्हें सलामी दी थी. इसके बाद भी गणतंत्र दिवस के परेड का आयोजन कभी किंग्सवे कैंप, कभी रामलीला मैदान तो कभी लाल किले पर होता रहा है. अंततः साल 1955 में परेड स्थल के लिए राजपथ के रूप में स्थाई जगह मिली, और आज तक वहीं पर गणतंत्र दिवस समारोह आयोजित हो रहे हैं.
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परेड के लिए भारतीय सेना करती है 600 घंटे का अभ्यास:
ज्यों-ज्यों इस राष्ट्रीय पर्व की भव्यता बढ़ती गयी, इसका आयोजन भी भव्यतम बनता चला गया. अब इस आयोजन की तैयारी भारतीय सेना द्वारा 6 माह पूर्व यानी अगस्त माह से ही शुरू हो जाती है. बता दें कि गणतंत्र दिवस के परेड के लिए प्रत्येक सैनिक को कम से कम 600 घंटे की प्रैक्टिस करनी होती है. यह परेड दिल्ली की सड़कों पर लगभग 8 किमी की दूरी तय करती है.
इस वर्ष प्रधानमंत्री ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर देंगे शहीदों को श्रद्धांजली:
गणतंत्र दिवस समारोहों में एक नई परंपरा साल 1973 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने शुरू की थी, जब उन्होंने नई दिल्ली के इंडिया गेट स्थित ‘अमर जवान ज्योति’ स्मारक पर शहीद हो चुके सैनिकों को श्रद्धांजली दी. इस परंपरा का निर्वहन पिछले साल तक निर्विरोध जारी रहा. गौरतलब है कि ‘अमर जवान ज्योति’ स्मारक का निर्माण साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो चुके जवानों की स्मृति में किया गया था. इस वर्ष 47 सालों बाद इस परंपरा में परिवर्तन लाते हुए वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रीमंडल के साथ पिछले वर्ष बनकर तैयार ‘नेशनल वॉर मेमोरियल’ पर जाकर शहीद हुए जवानों को पुष्पांजली अर्पित करेंगे. इस स्मारक की दीवारों पर देश की रक्षार्थ शहीद हुए 25,942 जवानों के नाम भी अंकित हैं.
रायसीना हिल्स से शुरु होगा परेड मार्च:
गणतंत्र दिवस पर (26 जनवरी) सेना के तीनों अंग रायसीना हिल्स पर महामहिम राष्ट्रपति को सलामी देते हैं. इसके बाद रायसीना हिल्स से ही सैनिक परेड शुरु होकर राजपथ, इंडिया गेट से होती हुई लाल किले पर पहुंचती है. यह पूरा सफर लगभग 8 किलोमीटर का होता है. राष्ट्रपति को सलामी के साथ परेड की शुरुआत होती है. गौरतलब है कि परेड शुरू होने से पहले राष्ट्रपति 14 घोड़ों की बग्घी में बैठकर इंडिया गेट आते हैं, जहां प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं.