Rabindranath Tagore Jayanti 2020 Wishes & Images: रबींद्रनाथ टैगोर जयंती पर भेजें ये हिंदी GIF Greetings, WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Wallpapers, HD Photos और दें सभी को बधाई
आज महान बांग्ला कवि, गीतकार, संगीतकार, कहानीकार, नाटककार, चित्रकार, रचनाकार और निबंध लेखक रबींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन आकर्षक जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेज, वॉलपेपर्स, एचडी फोटोज, इमेज और विशेज के जरिए बधाई दे सकते हैं.
Rabindranath Tagore Jayanti 2020 Wishes In Hindi: कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ देश में लागू लॉकडाउन (Lockdown) के बीच आज देशभर में रबींद्रनाथ टैगोर जयंती (Rabindranath Tagore Jayanti) मनाई जा रही है. रबींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था, वे अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे और उन्हें प्यार से रबी कहकर बुलाया जाता था. बचपन से ही रबींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने कविताएं, कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था. उन्होंने 8 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी और 16 साल की उम्र में उनकी लघुकथा प्रकाशित हुई थी. रबींद्रनाथ टैगोर को साल 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था, वे नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले नॉन-यूरोपीय थे. उन्हें भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान का रचयिता भी कहा जाता है. वे भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' और बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' के भी रचयिता कहलाते हैं.
आज महान बांग्ला कवि, गीतकार, संगीतकार, कहानीकार, नाटककार, चित्रकार, रचनाकार और निबंध लेखक रबींद्रनाथ टैगोर की 159वीं जयंती मनाई जा रही है. इस खास अवसर पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन आकर्षक जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक मैसेज, वॉलपेपर्स, एचडी फोटोज, इमेज और विशेज के जरिए बधाई दे सकते हैं.
1- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती की शुभकामनाएं
2- हैप्पी रबींद्रनाथ टैगोर जयंती
3- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती मुबारक
4- रबींद्रनाथ टैगोर जयंती की बधाई
5- हैप्पी रबींद्रनाथ टैगोर जयंती 2020
रबींद्रनाथ टैगोर की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल में हुई थी. उनके पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा बैरिस्टर बने, इसलिए उन्होंने बेटे रबींद्रनाथ को कानून की पढ़ाई के लिए 1878 में लंदन भेजा. रबींद्रनाथ साहित्य प्रेमी थे, लिहाजा कुछ समय तक लंदन के कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद बिना डिग्री लिए ही साल 1880 में वापस लौट आए. उन्होंने अपने जीवन काल में साहित्य की विभिन्न विधाओं का सृजन किया. उनकी सबसे लोकप्रिय रचना गीतांजलि लोगों की इतनी पसंद आई कि उसका अनुवाद अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, जापानी, रूसी इत्यादि भाषाओं में किया गया.