नवरात्रि 2024: कल है महाअष्टमी! जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और मां महागौरी की आरती

महाअष्टमी इस बार 11 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी. इस बार खास बात यह है कि महाअष्टमी और महानवमी का व्रत एक ही दिन मनाया जाएगा.

Maha Ashtami Kab Ki Hai 2024: शारदीय नवरात्रि, जिसे भारत में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, इस वर्ष विशेष महत्व रखती है. नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है, इस बार 11 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दिन मां महागौरी की पूजा की जाएगी, वहीं नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना की जाएगी. इस बार खास बात यह है कि महाअष्टमी और महानवमी का व्रत एक ही दिन मनाया जाएगा.

महाष्टमी का महत्व 

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि की सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगी, जिसके बाद अष्टमी तिथि का प्रारंभ होगा. अष्टमी तिथि पर मां महागौरी के निमित्त विशेष पूजा का विधान है. शास्त्रों के अनुसार, सप्तमी और अष्टमी तिथि का व्रत एक ही दिन करना वर्जित माना गया है, इसलिए अष्टमी का व्रत अगले दिन रखा जाएगा.

इस वर्ष की खासियत यह है कि सप्तमी तिथि मां कालरात्रि को समर्पित होती है, और इस दिन निशिता काल में मां काली की पूजा की जाती है. 9 अक्टूबर को सप्तमी और 10 अक्टूबर को नवपत्रिका तथा संधि पूजा का आयोजन किया जाएगा. इसके बाद, 11 अक्टूबर को महा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा, जो दोपहर 12:06 बजे समाप्त होगी, इसके बाद नवमी तिथि का प्रारंभ होगा.

पंचांग विवरण 

 

महाअष्टमी पूजा विधि (Maha Ashtami Puja Vidhi) 

मां महागौरी का भोग (Maa Mahagauri Ka Bhog) 

मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना शुभ माना गया है.

महागौरी का मंत्र

(Maa Mahagauri Ka Mantra)

सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।

महागौरी की आरती

(Maa Mahagauri Ki Aarti)

जय महागौरी जगत की माया ।

जय उमा भवानी जय महामाया ॥

हरिद्वार कनखल के पासा ।

महागौरी तेरा वहा निवास ॥

चंदेर्काली और ममता अम्बे

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥

भीमा देवी विमला माता

कोशकी देवी जग विखियाता ॥

हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥

सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया

उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥

बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया

शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥

निवार को तेरी पूजा जो करता

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

इस वर्ष महाअष्टमी और महानवमी का एक साथ होना विशेष धार्मिक महत्व रखता है. मां दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा करना भक्तों को अनंत शुभ फल प्रदान कर सकता है. इस अवसर पर भक्तगण माता रानी की कृपा के लिए विशेष अनुष्ठान करेंगे. श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा-अर्चना अवश्य करें और मां महागौरी का आशीर्वाद प्राप्त करें.

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