Navratri 2019: नवरात्रि के नौवें दिन क्यों करते हैं हवन, जानें इसका आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व

माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के पश्चात हवन आवश्यक प्रक्रिया मानी जाती है. नवमी के दिन हवन करवाने से माता दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं. हवन भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है. कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं. हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है.

हवन (Photo Credits: wikipedia)

Navratri 2019: नवरात्रि (Navratri) के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा-अर्चना के पश्चात घरों में हवन अथवा यज्ञ (Navratri Havan) अति आवश्यक माना गया है. बताया जाता है कि हवन की आहुति के बिना नवरात्रि की पूजा ही नहीं बल्कि कोई भी पूजापाठ अर्थहीन माना जाता है. वस्तुतः हवन भारतीय परंपरा अथवा हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है. कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना करने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं. हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ हैं जिनकी अग्नि में आहुति दी जाती है.

नवरात्र में हवन का विधि-विधान

माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के पश्चात हवन आवश्यक प्रक्रिया मानी जाती है. नवमी के दिन हवन करवाने से माता दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं. जिस घर में हवन होता है, वहां सुख, शांति एवं समृद्धि की वर्षा होती है. लेकिन हवन स्वयं न करके किसी पुरोहित अथवा ज्ञानी ब्राह्मण से करवाया जाना चाहिए. दुर्गा जी की प्रतिमा के समक्ष सुंदर हवन-कुण्ड बनवाएं. इसके चारों ओर आकर्षक रंगोली बनाएं. हवन शुरू करवाने से पूर्व दुर्गा सप्तशती के आवश्यक अंश का पाठ जरूर करें.

हवन अथवा यज्ञ शुरू करने से पूर्व हवन की सारी सामग्री सामने रख लेनी चाहिए. हवन सामग्री में आम की लकड़ी का छीलन, पीपल का तना और छाल, नीम, पलाशस गूलर, पलाश, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लौहबान, इलायची, शक्कर और जौ मिश्रित रूप में होते हैं. इसके अलावा हवन के समय प्रयोग की जाने वाली आवश्यक सामग्रियों में शुद्ध देशी घी, गुड़, जौ, पान का पत्ता, जटा वाला नारियल, फल एवं फूल, एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा. इत्यादि.

हवन का महात्म्य

सनातन धर्म में पूजा के बाद घरों अथवा मंदिरों में हवन करवाना शुभ बताया जाता है. दरअसल अग्निकुण्ड में अग्नि के माध्यम से अपनी श्रद्धा एवं आस्था को विभिन्न देवी-देवताओं तक पहुंचाने की प्रक्रिया को हवन अथवा यज्ञ कहते हैं. गौरतलब है कि यज्ञ कुण्ड में अग्नि प्रज्जवलित करने के पश्चात अग्नि देवता को फल, शहद, घी, लकड़ी आदि की आहुति दी जाती है. यूं तो घरों में हवन अथवा यज्ञ इसीलिए करवाया जाता है ताकि घर में सुख, शांति एवं समृद्धि का वातावरण निर्मित हो.

देवी की आप पर विशेष कृपा बरसे. लेकिन जिस घर में भूत, प्रेत अथवा नकारात्मक शक्तियों आदि का वास होता है, जिसकी वजह से घर में किसी भी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्यों में बाधा आ रही है, जिनकी वजह से आपके घर में अशांति बनी रहती है, तमाम कोशिशों के बावजूद आर्थिक स्थिति निरंतर बुरी होती जा रही है, घर से बीमारियां नहीं जा रही हैं तो वहां धार्मिक विधि से एक यज्ञ अथवा हवन जरूर होनी चाहिए.

क्या कहता है विज्ञान

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारतीय संस्कृति बेहद प्राचीन और सुद्दढ़ होने के कारण आज भी इसका महत्व और प्रभुत्व बरकरार है. दरअसल हमारे देश में बनाये गये लगभग सभी सांसारिक एवं आध्यात्मिक नियमों के पीछे ठोस वैज्ञानिक तर्क होते हैं. हम जब घर में हवन अथवा यज्ञ करवाते हैं तो इससे उत्सर्जित यज्ञ का औषधीय धुआं वातावरण में व्याप्त जीवाणुओं एवं गंदगी को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करता है, जिससे घर में बीमारियां नहीं पनपने पातीं. इसके पीछे एक तर्क यह भी है कि हम जिस हवन सामग्री का इस्तेमाल करते हैं, उसमें नाना किस्म की जड़ी बूटियां होती हैं. जिन्हें जलाने से वातावरण में शुद्धि आती है साथ ही वातावरण में व्याप्त जीवाणु लगभग पूरी तरह नष्ट हो जाते है. यह भी पढ़ें: Shubh Durga Navami 2019 Wishes: महानवमी के खास मौके पर इन प्यारे हिंदी Facebook Greetings, WhatsApp Stickers, Messages, Photo SMS, GIF, Wallpapers के जरिए दें देवी भक्तों को शुभकामनाएं

हवन का आध्यात्मिक महत्व

सनातन धर्म में पुण्य एवं ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए देवी देवता का आराधना तो किया ही जाता है, साथ ही आराधना के पश्चात घर की शुद्धि के लिए हवन अथवा यज्ञ भी करवाया जाता है. हवन अथवा यज्ञ के दर्म्यान जो मंत्रोच्चारण होता है वह अलग-अलग देवताओं के लिए होता है. हवन के साथ देव अथवा देवी की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है. वस्तुतः हवन के मुख्य देवता अग्नि होते हैं. हवन में अर्पित सारी आहुतियां सीधा देवों तक पहुंचती है.

हवन की विधि

नवमी के दिन देवी की पूजा के पश्चात हवन कुण्ड में हवन के लिए मुख्य रूप से आम की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है. इसे समिधा कहते हैं. हवन की शुरुआत में समिधा ही रखी जाती है. इसके पश्चात इसमें अग्नि प्रज्जवलित करते हैं और पुरोहित मंत्रों का उच्चारण करते हुए इसमें हवन सामग्री एवं घर डालते हैं. हर मंत्र की अलग-अलग आध्यात्मिक शक्ति होती है.

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