Navratri 2018: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां स्कंदमाता की उपासना, पूरी होगी हर मनोकामना
स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. भगवान स्कंद उनकी गोद में बालरूप में विराजित हैं. स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है.
देशभर में नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जा रहा है और आज नवरात्रि का चौथा दिन व पंचमी तिथि है इसलिए आज का दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार असुरों का विनाश और देवताओं का कल्याण करने के लिए स्कंदमाता ने भगवान शिव से विवाह किया था. विवाह के पश्चात उनके पुत्र स्कंद यानी कार्तिकेय ने असुरों के विरुद्ध देवताओं का नेतृत्व किया. स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. भगवान स्कंद उनकी गोद में बालरूप में विराजित हैं. स्कंदमाता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं, जिन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है.
कहा जाता है कि नवरात्रि में देवी स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. तो चलिए जानते हैं देवी स्कंदमाता की पूजा कैसे की जानी चाहिए और उन्हें कौन सा भोग अर्पित करना चाहिए?
ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप
मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो हाथों में कमल का फूल विराजमान है. उनकी एक भूजा ऊपर की ओर उठी हुई हैं, जिससे वो अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जबकि एक हाथ से उन्होंने अपने गोद में बैठे बालस्वरूप स्कंद को पकड़ा हुआ है. हालांकि देवी के इस स्वरूप का वाहन सिंह है, लेकिन ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: नवरात्रि के तीसरे दिन करें देवी कूष्मांडा का पूजन, सृष्टि की हैं आदिस्वरूपा
स्नेह और ममता की हैं देवी
स्कंदमाता को स्नेह और ममता की देवी माना जाता है. इन्हेंअपने पुत्र और देवताओं के सेनापति स्कंद यानी कार्तिकेय से अत्यधिक प्रेम करती हैं. स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है.
ऐसे करें स्कंदमाता की पूजा
मान्यता है कि जिन लोगों को संतान का सुख नहीं मिला है, उन्हें स्कंदमाता की पूजा जरूर करनी चाहिए, क्योंकि स्कंदमाता के आशीर्वाद से संतान सुख प्राप्त होता है. अगर आप मां स्कंदमाता की पूजा करने जा रहे हैं तो इस मंत्र का जप करना बेहद शुभकारी होता है.
मंत्र- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। यह भी पढ़ें: Happy Navratri 2018: नवरात्रि में करें मां दुर्गा के इन नौ स्वरूपों की आराधना, समस्त कामनाओं की होगी पूर्ति
मां को अर्पित करें ये भोग
पंचमी तिथि के दिन मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को केले का दान करना चाहिए. इससे माता प्रसन्न होती हैं और मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है.
पूरी होती है हर मनोकामना
मान्यता है कि देवी स्कंदमाता की आराधना से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूरी होती हैं और मृत्यु के पश्चात उन्हें मोक्ष मिलता है. मन को एकाग्र रखकर, पूरी आस्था के साथ इनकी आराधना से भक्तों के जीवन की सारी बाधाएं दूर होती हैं.