National Doctors' Day 2020 Messages In Hindi: भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे (National Doctors' Day) यानी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. केंद्र सरकार ने साल 1991 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद से हर साल इस दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के प्रकोप के चलते नेशनल डॉक्टर्स डे थीम (National Doctors' Day Theme) की घोषणा नहीं की गई है. 1 जुलाई के दिन देश के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय (Dr. Bidhan Chandra Roy) की जयंती और पुण्यतिथि मनाई जाती है. उन्हीं के सम्मान में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है और इस दिन पूरी चिकित्सा बिरादरी के प्रति सम्मान और आभार प्रकट किया जाता है.
देश में डॉक्टरों के योगदान के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. कोरोना महामारी के समय डॉक्टर्स फ्रंटलाइन योद्धा के रूप में सामने आए हैं, इसलिए इस खास अवसर पर इन शानदार हिंदी मैसेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ, एचडी इमेज, कोट्स और एसएमएस के जरिए चिकित्सकों से थैंक यू (Thank You) कहकर उनका आभार जताएं.
1- एक अच्छा डॉक्टर,
लंबे पर्चे की बजाय,
अच्छी सलाह देता है.
हैप्पी नेशनल डॉक्टर्स डे
2- बीमारी का निदान अंत नहीं है,
बल्कि अभ्यास की शुरुआत है.
हैप्पी नेशनल डॉक्टर्स डे
3- डॉक्टर से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए,
उससे अपनी बीमारी से जुड़ी हर बात बताएं.
हैप्पी नेशनल डॉक्टर्स डे
4- संसार में डॉक्टर ही एक ऐसा इंसान है,
जिसे मरीज आस भरी नजरों से देखता है,
जैसे वो भगवान से दुआ कर रहा है.
हैप्पी नेशनल डॉक्टर्स डे
5- आप जैसे डॉक्टर असली नायक है,
जो मरीजों को जिंदगी बचाते हैं इसलिए,
डॉक्टर को ईश्वर का दूसरा रूप कहते हैं,
मेरा जीवन बचाने के लिए धन्यवाद.
हैप्पी नेशनल डॉक्टर्स डे
डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय ने चिकित्सा क्षेत्र में अहम योगदान दिया था. बताया जाता है कि भारतीय होने के कारण उन्हें लंदन के प्रतिष्ठित सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल से डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिला नहीं मिला, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और लगातार डीन के पास दाखिले के लिए आवेदन करते रहे. आखिरकार डीन ने हार मान ली और 30वीं बार में उनका आवेदन स्वीकर कर लिया.
उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और निष्ठा के चलते सवा दो साल में ही डिग्री हासिल कर ली. पढ़ाई के बाद वे भारत लौटे और चिकित्सा के क्षेत्र में काम करना शुरु किया. उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और उनका निधन 1 जुलाई साल 1962 को हुआ था. इस दिन बिधानचंद्र रॉय के चिकित्सा क्षेत्र में दिए गए योगदान को याद किया जाता है और चिकित्सकों का आभार जताया जाता है.