Narak Chaturdashi 2020: नरक चतुर्दशी कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और छोटी दिवाली से जुड़ी पौराणिक कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे छोटी दिवाली, काली चौदस, रूप चौदस, यम चतुर्दशी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और किसी पवित्र नदी में स्नान करने से इंसान को मृत्यु के पश्चात यमराज की यातना नहीं झेलनी पड़ती है.

नरक चतुर्दशी 2020 (Photo Credits: File Image)

Narak Chaturdashi 2020: हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास (Kartik Month) के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) का त्योहार मनाया जाता है, जिसे छोटी दिवाली (Chhoti Diwali), काली चौदस (Kali Chaudas), रूप चौदस (Roop Chaudas), यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. आमतौर पर नरक चतुर्दशी का त्योहार लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) यानी दीपावली (Deepawali) से एक दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस साल नरक चतुर्दशी और दीपावली एक ही दिन मनाई जाएगी. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) की पूजा की जाती है और उनके निमित्त दीपदान किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और किसी पवित्र नदी में स्नान करने से इंसान को मृत्यु के पश्चात यमराज की यातना नहीं झेलनी पड़ती है.

चलिए विस्तार से जानते हैं नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और पर्व से जुड़ी पौराणिक कथा. यह भी पढ़ें: Diwali 2020 Date & Full Schedule: कब है दिवाली? देखें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की महत्वपूर्ण तिथियों की पूरी लिस्ट

नरक चतुर्दशी कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल नरक चतुर्दशी का त्योहार 14 नवंबर 2020 (शनिवार) को मनाया जाएगा.

शुभ मुहूर्त-

चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 13 नवंबर 2020 को शाम 06.01 बजे से,

चतुर्दशी तिथि समाप्त- 14 नवंबर 2020 की दोपहर 02.20 बजे तक.

अभ्यंग स्नान मुहूर्त- 14 नवंबर 2020 सुबह 05.23 बजे से सुबह 06.43 बजे तक.

पूजा विधि-

नरक चतुर्दशी का महत्व

नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान करने से अकाल मौत और यमराज के भय से मुक्ति मिलती है. इस दिन अभ्यंग स्नान करने वाले व्यक्ति को नर्क की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती है और उसे अपने समस्त पापों से छुटकारा मिलता है. इस दिन शरीर में लेप और उबटन करने से रूप निखरता है, इसलिए इसे रूप चौदस भी कहते हैं. मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन जिस घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है और यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, उस घर के सभी सदस्यों को यमराज के भय से मुक्ति मिलती है.

नरक चतुर्दशी की कथा

नरक चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में रन्तिदेव नाम का एक राजा था, जो हमेशा धर्म के कार्यों में लगा रहता था, लेकिन जब उसका अंतिम समय आया तो उनके प्राण हरने के लिए यमराज के दूत आए. यमराज के दूतों ने राजा से कहा कि उनके नरक में जाने का समय आ गया है तब राजा ने कहा कि उसने कभी कोई अधर्म या पाप नहीं किया है, फिर उसे नरक क्यों ले जाया जा रहा है? इसके बाद यम के दूतों ने कहा कि राजा एक बार तुम्हारे महल के द्वार पर एक ब्राह्मण आया था, जो तुम्हारे द्वार से भूखा ही लौट गया था, इसलिए तुम्हे नरक में जाना पड़ रहा है. यह भी पढ़ें: Dhanvantari Jayanti 2020: धन्वंतरि जयंती कब है? आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की पूजा से मिलता है अच्छी सेहत का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

यमराज के दूतों की बात सुनने के बाद राजा ने यमराज से एक साल का समय और देने की प्रार्थना की ताकि वो अपनी गलती सुधार सके. एक साल का समय मिलने के बाद राजा यमदूतों से मुक्ति पाने का उपाय जानने के लिए ऋषियों के पास गए. राजा ने अपनी आप बीती ऋषियों को बताई, जिसके बाद ऋषियों ने कहा कि राजन आप कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं. ऋषियों के कहे अनुसार राजा वे व्रत रखा और ब्राह्मणों को भोजन कराया, जिसके फलस्वरूप राजा को नरक जाने से मुक्ति मिल गई, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन जो भी व्रत करता है और यमराज के निमित्त दीपदान करता है उसे नरक के दर्शन नहीं करने पड़ते हैं.

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