Muharram Messages 2023: मुहर्रम को दुनिया भर में भाग लेने वाले मुसलमानों द्वारा इस्लामी नव वर्ष के आगमन के रूप में मनाया जाता है. इसे समुदाय द्वारा एक पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. यह मुसलमानों के लिए साल के चार पवित्र महीनों में से एक है. पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार, मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है और इसे अत्यधिक धार्मिक माना जाता है, यह रमज़ान के बाद आता है. मुहर्रम का अर्थ अपने आप में "निषिद्ध" है और चूंकि इसे पवित्र माना जाता है, इसलिए कई मुसलमान इसे प्रार्थना और चिंतन की अवधि के रूप में उपयोग करते हैं.
समुदाय के लोगों के लिए पवित्र मुहर्रम अवधि के दौरान रोज़ा रखा जाता है. मुहर्रम कर्बला की लड़ाई की सालगिरह का भी प्रतीक है, जहां इस्लामी पैगंबर मुहम्मद के पोते इमाम हुसैन इब्न अली शहीद हुए थे. मुस्लिम समुदाय द्वारा इस्लामिक नया साल 19 जुलाई, 2023 को मनाया जाएगा, जो बधवार को पड़ रहा है. इस दिन को दुनिया भर में शिया मुसलमानों द्वारा व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है. इसी समय के दौरान पैगंबर मुहम्मद मक्का से मदीना चले गए, जिसे हिजरा के नाम से जाना जाता है, और इसलिए मुहर्रम भी इस महत्वपूर्ण घटना को चिह्नित करता है. मुहर्रम पर हम ले आये हैं कुछ कोट्स और मैसेजेस, जिन्हें आप अपनों को भेजकर इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सकते हैं.
1. सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया
असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने
2. सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई
सब्र से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई
एक चमन फातिमा का गुज़रा
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई.
3. क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने
सजदे में जाकर सिर कटाया हुसैन ने
नेजे पे सिर था और ज़ुबान पे आयतें
कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने
4. एक दिन बड़े गुरूर से कहने लगी जमीन
है मेरे नसीब में परचम हुसैन का
फिर चाँद ने कहा मेरे सीने के दाग देख
होता है आसमान पर भी मातम हुसैन का
5. कर्बला की जमीं पर खून बहा,
कत्लेआम का मंजर सजा,
दर्द और दुखों से भरा था सारा जहां
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला.
पैगंबर मुहम्मद के अनुसार आशूरा के दिन रोज़ा करने से पिछले वर्ष के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और इसलिए, कई मुस्लिम अनुयायी इस महीने के नौवें और दसवें दिन रोज़ा करना चुनते हैं. शिया मुस्लिम संप्रदाय अक्सर छाती पीटकर इस दिन मातम मनाते हैं. सुन्नी मुसलमान आशूरा को पैगंबर मूसा के सम्मान का दिन मानते हैं लेकिन अनुष्ठान में भाग नहीं लेते हैं. मुहर्रम के इस पवित्र समय के दौरान, मुसलमान खुशी के कार्यक्रमों में भाग लेने से बचते हैं.