Margashirsha Mahalaxmi Guruvar Vrat 2023 In Maharashtra: मार्गशीर्ष का पवित्र माह! जब श्रीहरि समर्पित 4 गुरूवार को होगी महालक्ष्मी-पूजा! जानें इसका महात्म्य!

Margashirsha Mahalaxmi Guruvar Vrat 2023 Date: 14 दिसंबर 2023 को पहला गुरुवार और 4 जनवरी 2024 को आखिरी गुरुवार पड़ रहा है. सनातन धर्म में श्रावण मास के समान ही मार्गशीर्ष मास का भी विशेष महत्व माना जाता है, यही वजह है कि संपूर्ण महाराष्ट्र में इस पूरे मास मांसाहार से कड़ाई से परहेज रखा जाता है.

Margashirsha-Guruvar Vrat (Photo Credits: File Image)

   मार्गशीर्ष माह के प्रत्येक गुरुवार को मार्गशीर्ष महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा का विधान है, विशेष रूप से महालक्ष्मी का यह व्रत महाराष्ट्र एवं दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में बड़ी श्रद्धा एवं आस्था के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष मार्गशीर्ष मास 13 दिसंबर 2023 से शुरू होकर 11 जनवरी 2024 तक रहेगा. इस दरम्यान 4 गुरुवार पड़ेंगे, जब महालक्ष्मी व्रत-एवं पूजन किया जाएगा. 14 दिसंबर 2023 को पहला गुरुवार और 4 जनवरी 2024 को आखिरी गुरुवार पड़ रहा है. सनातन धर्म में श्रावण मास के समान ही मार्गशीर्ष मास का भी विशेष महत्व माना जाता है, यही वजह है कि संपूर्ण महाराष्ट्र में इस पूरे मास मांसाहार से कड़ाई से परहेज रखा जाता है. आइये जानते हैं, इस माह कब-कब गुरुवार पड़ रहे हैं, जब महालक्ष्मी का व्रत एवं पूजा रखे जाएंगे.

मार्गशीर्ष मास के चार प्रमुख गुरुवार

पहला गुरुवार 14 दिसंबर 2023

दूसरा गुरुवार 21 दिसंबर 2023

तीसरा गुरुवार 28 दिसंबर 2023

चौथा गुरुवार 04 जनवरी 2024

मार्गशीर्ष माह में महालक्ष्मी व्रत का महात्म्य

 12 दिसंबर को अमावस्या समाप्त हो जाएगा, इसके बाद 13 दिसंबर 2023 से मार्गशीर्ष मास शुरू हो जाएगा. हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रावण की तरह मार्गशीर्ष मास भी बहुत पवित्र महीना माना जाता है. इस माह पड़ने वाले सभी चार गुरुवार को महालक्ष्मी का व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है, और इस दिन उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी की पूजा होती है, इसलिए इस माह का विशेष महत्व होता है.

महालक्ष्मी व्रत सेलिब्रेशन

मार्गशीर्ष माह के प्रथम गुरुवार को महालक्ष्मी व्रत-पूजा के उपलक्ष्य में घट स्थापना का विधान है. इसके बाद देवी महालक्ष्मी की विधि-विधान एवं बड़ी भव्यता के साथ पूजा-अनुष्ठान किया जाता है. पूजा के दरम्यान महालक्ष्मी की व्रत की कथा सुनी जाती है, आखिरी गुरुवार को अड़ोस-पड़ोस की सुहागन महिलाओं को हल्दी कुमकुम और उपहार देकर सम्मानित किया जाता है.

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