Maharashtra Day 2023: पहली मई को ही क्यों मनाया जाता है महाराष्ट्र दिवस? जानें क्या है इसका इतिहास और महत्व?

प्रत्येक वर्ष पहली मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है. इसी दिन महाराष्ट्र को एक अलग राज्य के रूप में गठित किया गया था. इतिहास साक्षी है कि महाराष्ट्र की धरा पर संत ज्ञानेश्वर, संत ज्ञानदेव से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज एवं संभाजी जैसे अनेकों संत एवं शूरवीरों ने जन्म लिया है.

महाराष्ट्र दिवस 2023 (Photo Credits: File Image)

Maharashtra Day 2023: प्रत्येक वर्ष पहली मई को महाराष्ट्र दिवस मनाया जाता है. इसी दिन महाराष्ट्र को एक अलग राज्य के रूप में गठित किया गया था. इतिहास साक्षी है कि महाराष्ट्र की धरा पर संत ज्ञानेश्वर, संत ज्ञानदेव से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज एवं संभाजी जैसे अनेकों संत एवं शूरवीरों ने जन्म लिया है. महाराष्ट्र वासियों के लिए यह दिन एक महान उत्सव की तरह होता है. इसके सेलिब्रेशन के लिए इस दिन राज्य और केंद्र सरकार के निर्देशानुसार सभी स्कूल, कॉलेज और कार्यालय बंद रहते हैं. इस दिन महाराष्ट्र के राज्यपाल को मुंबई स्थित शिवाजी पार्क में परेड और उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है. आइये बात करते हैं, महाराष्ट्र दिवस के बारे में कई तथ्यात्मक जानकारियां. यह भी पढ़े: Maharashtra Day 2022 Messages: हैप्पी महाराष्ट्र दिवस! इन हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings, GIF Images के जरिए दें शुभकामनाएं

पहली मई को ही क्यों मनाते हैं महाराष्ट्र दिवस?

ब्रिटिश हुकूमत से भारत को 15 अगस्त 1947 को पूर्ण आजादी मिली थी. उस समय देश का नक्शा आज जैसा नहीं था. छोटे-छोटे सूबों में देश विभक्त था. महाराष्ट्र का भी अस्तित्व नक्शे में नहीं था. उस समय तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल भाषाओं एवं क्षेत्रफल के आधार पर राज्यों में तब्दील कर रहे थे. उसी दरम्यान 1 मई 1960 को संयुक्त राज्य महाराष्ट्र का गठन किया गया. इसके बाद से ही पहली मई को महाराष्ट्र दिवस मनाने का सिलसिला शुरू हुआ.

महाराष्ट्र दिवस का इतिहास

आजादी के पश्चात अधिकांश प्रांतीय राज्यों को बॉम्बे प्रांत में जोड़ दिया गया था. बॉम्बे प्रांत में गुजराती और मराठी भाषियों की संख्या ज्यादा थी. भाषाई आधार पर गुजरातीभाषी और मराठीभाषी खुद के लिए अलग राज्य की मांग कर रहे थे. इस संदर्भ में कई आंदोलन भी हुए. आंदोलनों के परिणामस्वरूप, बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम, 1960 के तहत महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का गठन किया गया. 1 मई 1960 को भारत सरकार ने बॉम्बे राज्य को दो विभिन्न राज्यों के रूप में मान्यता दिया गया. मराठी बोलने वाली आबादी के लिए महाराष्ट्र और गुजराती भाषियों के लिए गुजरात राज्य का गठन किया गया. हालांकि इसी बीच बंबई (मुंबई) को लेकर दोनों राज्यों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई, क्योंकि मुंबई पर्यटन और आर्थिक रूप से सम्पन्न था, महाराष्ट्रियन चाहते थे कि बॉम्बे उनके राज्य का हिस्सा हो, क्योंकि वहां ज्यादातर मराठीभाषी थे, जबकि गुजराती भाषियों का कहना था कि बॉम्बे की तरक्की में उनका ज्यादा योगदान था. अंततः सर्वसम्मति से बॉम्बे को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाया गया.

महाराष्ट्र दिवस सेलिब्रेशन

सम्पूर्ण महाराष्ट्र में महाराष्ट्र दिवस को व्यापक रूप से मनाया जाता है. इस दिन राज्य के मुख्यमंत्री हुतात्मा चौक पर जाकर महाराष्ट्र के निर्माण संघर्ष में हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इस दिन पूरे प्रदेश में मदिरा और अन्य नशे की वस्तुओं की बिक्री पर पाबंदी होती है. प्रदेश के तकरीबन हर शहरों में महाराष्ट्र की संस्कृति, कला और लोक नृत्यों के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. लोग नये-नये कपड़े पहनते हैं, पार्कों एवं सोसायटियों में विभिन्न रंगारंग और खेलकूद आयोजित किये जाते हैं. बच्चों को मिठाइयां बांटी जाती है. इस दिन सभी सरकारी और गैरसरकारी कार्यालय तथा स्कूल-कॉलेज आवश्यक रूप से बंद रखे जाते हैं.

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