Maharana Pratap Jayanti 2021 Quotes: महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती आज, अपनों के साथ शेयर करें उनके ये महान व प्रेरणादायी विचार
महाराणा प्रताप जितने शूरवीर योद्धा और महान राजा थे, उनके विचार भी उतने ही महान और प्रेरणादायी हैं. इतिहास के पन्नों में सदा-सदा के लिए अमर होने वाले महाराणा प्रताप के महान विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं. उनकी 481वीं जयंती के इस खास अवसर पर आप भी महाराणा प्रताप के महान व प्रेरणादायी विचारों को सोशल मीडिया के जरिए अपनों के साथ शेयर कर सकते हैं.
Maharana Pratap Jayanti 2021 Quotes in Hindi: आज (13 जून 2021) देशभर में राजस्थान के महान राजपूत योद्धा और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती (Maharana Pratap Jayanti) मनाई जा रही है. दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार, महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) का जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था और यह तिथि आज है, इसलिए आज उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को मेवाड़ के कुंभलगढ़ में हुआ था. उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के बड़े पुत्र महाराणा प्रताप एक ऐसे महान योद्धा और युद्ध रणनीति में कुशल राजा थे, जिन्होंने बार-बार मुगलों के हमले से मेवाड़ और मेवाड़ की जनता की रक्षा की. उनके सामने कितनी ही विकट परिस्थितियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी अपना सिर दुश्मन के सामने नहीं झुकाया.
महाराणा प्रताप जितने शूरवीर योद्धा और महान राजा थे, उनके विचार भी उतने ही महान और प्रेरणादायी हैं. इतिहास के पन्नों में सदा-सदा के लिए अमर होने वाले महाराणा प्रताप के महान विचार आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं. उनकी 481वीं जयंती के इस खास अवसर पर आप भी महाराणा प्रताप के महान व प्रेरणादायी विचारों को सोशल मीडिया के जरिए अपनों के साथ शेयर करके उनकी जयंती को सेलिब्रेट कर सकते हैं.
1- ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है. अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो.
2- हल्दीघाटी के युद्ध ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो, पर मेरे गौरव व शान को और बढा दिया.
3- समय इतना बलवान है कि यह राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है.
4- जो अत्यंत विकट परिस्थिति में भी झुक कर हार नही मानते, वो हार कर भी जीत जाते हैं.
5- ये दुनिया कर्म करने वालों को ही पसंद करती है, इसलिए कर्म करते रहना चाहिए.
6- हार आपसे आपका धन छीन सकती है, लेकिन आपका गौरव नहीं.
7- जो बुरे वक्त से डर जाते हैं उन्हें न सफलता मिलती है और न ही इतिहास में जगह.
8- अपने कतर्व्य और सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युगों-युगों तक स्मरण किया जाता है.
महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच हुई हल्दी घाटी की लड़ाई देश के इतिहास में दर्ज है, जिसके बारे में आज भी पढ़ा जाता है. अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हुआ यह युद्ध बहुत विनाशकारी था. दरअसल, महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता में मेवाड़ का शासन स्वीकार करने से इनकार कर दिया था, जिसके परिणामस्वरुप 18 जून 1576 ई को हल्दी घाटी का युद्ध छिड़ गया. विशाल सेना होने के बावजूद इस युद्ध को न तो अकबर जीत सका था और न ही महाराणा प्रताप इस युद्ध को हारे थे, क्योंकि भले ही महाराणा प्रताप की सेना छोटी थी, लेकिन उनके पास वीरों की कोई कमी नहीं थी.