Chandra Grahan 2020 in India: आज लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण, नहीं होगा सूतक काल

यह चंद्रग्रहण उपछाया ग्रहण होगा. इसका मतलब यह है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण के मुकाबले ग्रहण धुंधला होगा. उपछाया ग्रहण में खास बात यह है कि इसमें कोई सूतक काल नहीं माना जात है.

चंद्र ग्रहण | प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit- Pixabay)

Chandra Grahan 2020 in India: शुक्रवार को साल का दूसरा चंद्रग्रहण (Second Lunar Eclipse of 2020) लगने वाला है. ग्रहण आज 5 जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से लगना आरंभ हो जाएगा जो अगले दिन रात के 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. यह चंद्रग्रहण उपच्छाया ग्रहण होगा. इसका मतलब यह है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण के मुकाबले ग्रहण धुंधला होगा. उपच्छाया ग्रहण में खास बात यह है कि इसमें कोई सूतक काल नहीं माना जाता है. वहीं, इस दौरान आप पूजा पाठ भी कर सकेंगे. इस समय खाने पीने पर कोई पाबंदी नहीं होती है. इस ग्रहण को पूरे भारत में कहीं से भी नंगी आंखों से देखा जा सकता है.

ज्योतिषियों के मुताबिक इस ग्रहण का भारत में प्रभाव नहीं है इसलिए इस ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं माना जाएगा. ज्योतिष शास्त्रों में उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है. इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा. यह भी पढ़ें- Vat Purnima Vrat 2020: अखंड सौभाग्य का पर्व है वट पूर्णिमा व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा और महत्व. 

साल 2020 का यह दूसरा चंद्रग्रहण है. पहला चंद्र ग्रहण जनवरी में लगा था. इसके बाद साल का तीसरा 05 जुलाई और आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा. यह चंद्र ग्रहण भारत समेत एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में देखा जा सकेगा. इस ग्रहण में चांद के आकार में कोई भी बदलाव देखने को नहीं मिलेगा सिर्फ चांद थोड़ा सा धुंधला दिखाई देगा. इसी महीने सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण इस साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा.

क्या होता है उपच्छाया ग्रहण?

5 जून को लगने वाला ग्रहण उपच्छाया चंद्र ग्रहण है. चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करता है. जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपच्छाया ग्रहण कहते हैं. ज्योतिष के अनुसार इस उपच्छाया चंद्र ग्रहण में चांद पर मात्र पृथ्वी की छाया पड़ेगी, इसलिए धार्मिक और सामान्य कामकाज करने में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं होगा.

ज्योतिष शास्त्र में उपच्छाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है. इसलिए उपछाया ग्रहण में कोई सूतक नहीं माना जाता है. चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है.

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