Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023 Messages in Hindi: आज (2 अक्टूबर 2023) भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती (Lal Bahadur Shastri Jayanti) मनाई जा रही है. उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुगलसराय में हुआ था. कृषि क्षेत्र में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 'जय जवान, जय किसान' का नारा बुलंद करने वाले देश के दूसरे प्रधानमंत्री शास्त्री जी (Shastri Ji) सादा जीवन और उच्च विचार रखने वाले महान व्यक्ति थे, जो आजीवन अपने सिद्धांतों पर अडिग रहे. इसका उदाहरण उस वक्त देखने को मिला था, जब स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें जेल जाना पड़ा था और एक बार उनकी पत्नी जब उनसे मिलने के लिए जेल पहुंचीं तो उनके लिए वो दो आम छुपाकर ले गई थीं. जेल प्रशासन से छुपाकर आम लाने पर वो अपनी पत्नी पर क्रोधित हो गए और कहने लगे कि कैदियों का आम जनता की तरह भोजन करना गलत है.
लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसी शख्सियत थे, जिनका सम्मान न सर्फ उनकी पार्टी बल्कि विपक्षी पार्टियां भी करती थीं. शास्त्री जी 16 साल की उम्र में गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए, उसके बाद भी वे कई आंदोलनों का हिस्सा बने. इस बेहद खास अवसर पर आप अपनों को इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फोटो एसएमएस और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती कह सकते हैं.
1- लाल बहादुर शास्त्री भारत के लाल हैं,
उनके किए हुए हर काम कमाल हैं.
हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती
2- भारत के लाल जिसकी बहादुरी पर सबको नाज हैं,
ऐसे शास्त्री जी की जरूरत देश को आज हैं,
हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती
3- प्रधानमंत्री बनकर भारत का,
जिन्होंने देश को नई उड़ान दिया,
याद रहे सदा उनका योगदान,
उपकार हम पर है महान किया.
हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती
4- शास्त्री जी जैसे आदर्श नेताओं का मनन करते हैं,
उनके जन्मदिन पर उनको हृदय से नमन करते हैं.
हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती
5- शत-शत नमन है भारत के लाल को,
जिसने देशहित को ही अपना लक्ष्य बनाया,
जिनके अडिग-अटल निर्णयों से,
देश अग्रसर हो पाया...
हैप्पी लाल बहादुर शास्त्री जयंती
गौरतलब है कि साल 1964 में लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे, फिर उसके अगले साल यानी 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था. दोनों मुल्कों के बीच छिड़े युद्ध के दौरान भयंकर सूखा पड़ा और खाने की चीजों का निर्यात किया जाने लगा. उस आपात स्थिति में उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास करने की अपील की थी. उन्होंने 10 जनवरी 1966 को ताशकंत में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार किया और उसके 12 घंटे बाद यानी 11 जनवरी को अचानक उनका निधन हो गया, जिस पर आज भी रहस्य बरकरार है.