केरल: श्रद्धालुओं की गैर-मौजूदगी में मनाया जाएगा 7 दिवसीय त्रिशूर पूरम उत्सव, लॉकडाउन के बीच पुजारियों ने झंडा फहराने की निभाई रस्म

हर साल की तरह इस साल भी 7 दिवसीय त्रिशूर पूरम उत्सव का आगाज हो गया है, लेकिन इस साल इसका आगाज धूमधाम से नहीं बल्कि बेहद सादगी से किया गया है. लॉकडाउन के चलते केरल के थिरवमबाड़ी और पेरमेक्कावु मंदिर के पुजारियों ने श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बगैर ही झंडा फहराने की रस्म निभाई.

त्रिशूर पूरम उत्सव (Photo Credits: ANI)

हर साल केरल (Kerala) में आयोजित किया जाने वाला त्रिशूर पूरम (Thrissur Pooram) दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण उत्सव है. इस उत्सव में स्थानीय लोगों के अलावा सैकड़ों की तादात में पर्यटक भी हिस्सा लेते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस प्रकोप (Coronavirus Outbreak)  के चलते देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) किया गया है, जिसकी वजह से धार्मिक स्थलों और सार्वजनिक स्थलों पर लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगाई गई है. हर साल की तरह इस साल भी त्रिशूर पूरम उत्सव (Thrissur Pooram Festival) का आगाज हो गया है, लेकिन इस साल इसका आगाज धूमधाम से नहीं बल्कि बेहद सादगी से किया गया है. लॉकडाउन के चलते केरल के थिरवमबाड़ी और पेरमेक्कावु मंदिर के पुजारियों ने श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बगैर ही झंडा फहराने की रस्म निभाई.

केरल के त्रिशूर में पुजारियों ने भक्तों और दर्शनार्थियों की गैर-मौजूदगी में झंडा फहराने की रस्म निभाते हुए त्रिशूर पूरम उत्सव की शुरुआत की. इस साल 7 दिनों तक मनाए जाने वाले इस उत्सव को बिना किसी सार्वजनिक सभा के बेहद सादगी से मनाया जाएगा.

त्रिशूर पूरम उत्सव की शुरुआत

लॉकडाउन के बीच त्रिशूर पूरम उत्सव

त्रिशूर पूरम उत्सव वल्लुनावाडु क्षेत्र में स्थित देवी दुर्गा और भगवान शिव को समर्पित है. रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग और हाथियों की साज-सज्जा इस उत्सव में विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं. इस उत्सव के दौरान करीब 30 हाथियों को सजाया जाता है और उनकी झांकी निकाली जाती है. इस दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ इलान्जिथारा मेलम नामक लाइव परफॉर्मेंस का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें करीब 250 कलाकार हिस्सा लेते हैं. यह भी पढ़ें: Basava Jayanti 2020: कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा ने चेहरे पर मास्क लगातार सेलिब्रेट किया बसवा जयंती, कई नेता भी रहे मौजूद

बताया जाता है कि इस उत्सव की शुरुआत कोच्चि के शासक शक्थान थम्पूरम ने की थी. शुरुआत से ही करीब दस मंदिर मिलकर इस उत्सव को मनाते चले आ रहे हैं. इन मंदिरों में परमेक्कावु, थिरुवमबाड़ी कनिमंगलम, करमकु, लल्लूर, चूरकोट्टुकरा, पनामुक्कमपल्ली, अय्यनथोले, चेम्बुकावु और नेथिलाकवु मंदिर शामिल है. बहरहाल, इस साल त्रिशूर पूरम उत्सव को लोगों की मौजूदगी के बगैर ही मनाया जा रहा है.

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