Navratri 2018: कन्या पूजन के बाद ही संपन्न होता है नवरात्रि का व्रत, जानें कितनी होनी चाहिए उनकी उम्र?

दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन नौ कन्याओं को घर बुलाया जाता है और नौ देवी का रूप मानकर उनका पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि नवरात्रि में नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराने और उनका आदर सत्कार करने से मां दुर्गा भक्तों पर प्रसन्न होती हैं.

कन्या पूजन (Photo credits: Facebook)

नवरात्रि में नौ दिनों के व्रत और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करने के अलावा नौ कन्याओं के पूजन का भी विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि का व्रत संपन्न होता है और इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है. इसलिए नवरात्रि की सप्तमी तिथि से ही कन्या पूजन शुरू हो जाता है. इस दौरान कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है. दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन नौ कन्याओं को घर बुलाया जाता है और नौ देवी का रूप मानकर उनका पूजन किया जाता है. कहा जाता है कि नवरात्रि में नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराने और उनका आदर सत्कार करने से मां दुर्गा भक्तों पर प्रसन्न होती हैं.

नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का बहुत महत्व बताया जाता है और उन कन्याओं के साथ एक लड़के के पूजन का भी विधान है, जिसे लंगूर या लांगुरिया कहा जाता है.

नव दुर्गा का स्वरूप होती हैं कन्याएं

नवरात्रि के दौरान नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्तों का व्रत संपन्न होता है. इसलिए लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार कन्याओं को भोग लगाकर उन्हें दक्षिणा अर्पित करते हैं. जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वो तिथि के अनुसार, नवमी  और दशमी को कन्या पूजन के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं. हालांकि शास्त्रों में कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे शुभ माना गया है.  यह भी पढ़ें: Navratri 2018: कैसे हुई थी देवी दुर्गा की उत्पत्ति, जानें इससे जुड़ी दिलचस्प पौराणिक कथा

कन्याओं के साथ बिठाया जाता है लंगूर

नवरात्रि में नौ कन्याओं के साथ एक लड़के का भी पूजन किया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, लंगूर को हनुमान का रूप माना जाता है. लोगों का मानना है कि जिस तरह से वैष्णों देवी के दर्शन के बाद भैरो के दर्शन करने से ही देवी दर्शन पूरा होता है, ठीक उसी तरह से कन्या पूजन के दौरान लंगूर को कन्याओं के साथ बिठाने पर ही यह पूजा सफल होती है, अन्यथा इसका अधूरा ही फल मिलता है.

कितनी होनी चाहिए कन्याओं की उम्र?

अगर आप नवरात्रि में कन्या पूजन करना चाहते हैं तो इस बात का विशेष ख्याल रखें कि कन्याओं की आयु 2 वर्ष से 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए. कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या नौ होनी चाहिए और साथ में एक बालक भी होना चाहिए. अगर नौ से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही हैं तो इसमें कोई आपत्ति नहीं हैै.

उम्र के मुताबिक करें कन्या पूजन 

नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को नौ कन्याओं की पूजा की जाती है, लेकिन उनके उम्र के हिसाब से पूजन करने का अपना एक अलग ही महत्व है.

इस विधि से करें कन्या पूजन 

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