Hindu New Year Vikram Samvat 2077: आज से शुरू हो रहा है नया संवत्सर 2077, जानें क्या और क्यों रहेगा खास यह नववर्ष! कैसे चुनौतियों से पार पा सकेगा भारत!

नववर्ष का आरंभ बुधवार के दिन रेवती नक्षत्र, और मीन राशिगत चंद्रमा के गोचर के समय में हो रहा है, अतः देश के लिए यह संयोग अति शुभ रहेगा, यही नहीं यह संयोग भारतवर्ष के आर्थिक विकास, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में उन्नति, सामाजिक व्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी पहचान स्थापित कर सकेगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Wikimedia Commons)

Vikram Samvat 2077: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रमादी नामक नया हिंदू वर्ष संवत्सर 2077 आज यानी 25 मार्च 2020 को शुरू हो जायेगा. ज्योतिषियों का मानना है कि इस हिंदू नववर्ष का राजा बुध और मंत्री चंद्रमा रहेगा. ज्योतिषियों के अनुसार परिधावी नामक संवत्सर (सम्वत् 2077) का समापन चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या 24 मार्च 2020 दिन मंगलवार की रात 1 बजकर 43 मिनट पर होने के साथ ही 47वाँ 'प्रमादी' नामक नव संवत्सर आरम्भ हो रहा है. इसी दिन से नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, जबकि महाराष्ट्र में गुडी पडवा भी इसी दिन मनाया जाता है.

साल के दो गुप्त और दो नवरात्रि में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. कोई भी काम शुरू करने के लिहाज से नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. नवरात्रि में नौ दिन माता की पूजा अर्चना की जाती है.

क्या होता है नव संवत्सर?

नव संवत्सर वास्तव में हिंदू कैलेंडर के नव वर्ष की पहली तिथि होती है. हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि वर्ष प्रतिपदा कहलाती है. इस तिथि से नया वर्ष शुरू हो जाता है. इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु के कहने पर ब्रह्मा जी ने सृष्ठि की रचना प्रारंभ की थी. इस लिहाज से यह दिन हिंदू धर्म के लिए बहुत मायने रखता है. चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि आती है, तभी नया संवत्सर आरंभ होता है. यहां संवत्सर के मायने यह कि जिसमें सभी महीने पूरी तरह से निवास करते हों. संवत्सर 12 महीने का कालविशेष होता है. वास्तव में भारतीय संवत्सर 5 प्रकार के होते हैं. इनमें से तीन सावन, चान्द्र तथा सौर प्रमुख होते हैं.

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कैसा गुजरेगा नव संवत्सर 2077

ज्योतिषाचार्य रवींद्र पाण्डेय के अनुसार विंशति का परिधावी नामक संवत्सर विदा होने के साथ ही आज से 'प्रमादी' नामक संवत्सर का शुभारंभ हो जायेगा. इसके राजा बुध और मंत्री चंद्र हैं. इस वजह से फलस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था एवं प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखना सरकार के लिए एक कड़ी चुनौती हो सकती है. किंतु अपने सुद्दढ़ योजनाओं को क्रियान्वित कर हिंदुस्तान इस चुनौती में विजय प्राप्त कर लेगा. 6 अप्रैल से 'आनंद' नामक संवत्सर का भी शुभारंभ हो जाएगा जो भारतवर्ष की समृद्धि के लिए शुभ साबित होगा.

नववर्ष का आरंभ बुधवार के दिन रेवती नक्षत्र, और मीन राशिगत चंद्रमा के गोचर के समय में हो रहा है, अतः देश के लिए यह संयोग अति शुभ रहेगा, यही नहीं यह संयोग भारतवर्ष के आर्थिक विकास, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी में उन्नति, सामाजिक व्यवस्था और शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी पहचान स्थापित कर सकेगा.

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