Hariyali Teej 2019: हरियाली तीज पर सुहागन महिलाएं क्यों करती हैं सोलह श्रृंगार, जानें इसका महत्व

श्रावण शुक्लपक्ष की तृतीया को मनायी जानेवाली हरियाली तीज में हर सुहागन सोलह श्रृंगार करने के बाद ही शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं. सोलह श्रृंगार के साथ शिव-पार्वती जी की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं तथा माता पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

Hariyali Teej 2019 Solah Shringar: सजना-संवरना नारी का गहना होता है. पर्वों, उत्सवों अथवा शादी-व्याह के अवसरों पर तो हर महिला खुद को ज्यादा सुंदर दिखाने की होड़ में रहती हइस तरह की बातें हरियाली तीज में देखने को मिलती है. श्रावण शुक्लपक्ष की तृतीया को मनायी जानेवाली हरियाली तीज (Hariyali Teej) में हर सुहागन सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) करने के बाद ही शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं. सोलह श्रृंगार के साथ शिव-पार्वती (Lord Shiva and Mata Parvati) जी की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं तथा माता पार्वती उन्हें अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं. आइये जानें कि सोलह श्रृंगार की विभिन्न वस्तुओं का क्या क्या महत्व है, और इनका इस्तेमाल क्यों किया जाता है.

मांग टीकाः- मांग से लटकता स्वर्ण निर्मित टीका के बारे में कहा जाता है कि यह आपके सुहागन होने का प्रतीक तो है ही साथ पति के नाम का लगाये जानेवाले सिंदूर की रक्षा स्वरूप ही लगाया जाता है.

बिंदिया अथवा बिंदीः- सुहागन के एक और प्रतीक बिंदी अथवा बिंदिया इस तरह लगाया जाता है कि मांग-टीका का एक छोर इसे स्पर्श करे. बिंदी लगाने से एकाग्रता शक्ति संतुलित होती है.

काजल:- काजल आपकी आंखों की रक्षा तक करता ही है साथ ही काजल आपके सौंदर्य एवं लुक को भी द्विगुणित करता है. इसके अलावा काजल लोगों की काली नजरों से आपको बचाता भी हैं.

नथनी:- सुहागन का एक और अहम वस्तु हैं नथनी. यह नाक में पहना जाने वाला एक विशिष्ठ गहना कहलाता है. यह रक्त संचार को ग्रीवा भाग में स्थित करवाता है. यह भी पढ़ें: Hariyali Teej 2019 Mehandi Designs: हरियाली तीज पर हाथों में लगाएं अपने पिया के नाम की मेहंदी, ट्राई करें ये आकर्षक डिजाइन

सिंदूर:- सिंदूर ही वह तत्व है जो शादी के बाद दो अनजान युवा को विवाह के सूत्र में बांधता है. विवाहित स्त्री की पहली पहचान होता है सिंदूर, जो पति से पत्नी को विवाह की पहली रात प्राप्त होता है. सिंदूर को मां पार्वती और सती की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. सिंदूर लगाने से मां पार्वती सुहागन स्त्री की बुरी आत्माओं से रक्षा करती हैं.

मंगलसूत्र:- सुहाग के बाद मंगल सूत्र ही है जो आपके दांपत्य जीवन का संकेत देता है. सिंदूर और मंगल सूत्र किसी भी स्त्री के लिए सबसे महत्वपूर्ण वस्तु होते हैं. कोई भी सुहागन स्त्री अपने मंगलसूत्र और सिंदूर किसी दूसरी विवाहिता को शेयर नहीं करती. इनके बिना हर शादी अधूरी है.

कर्णफूल यानी इयर रिंग:- यह कानों में पहनने वाला तत्व है. यूं तो यह स्वर्ण निर्मित होता है, लेकिन जब से शादी-विवाह का कल्चर बदला है कर्णफूल की डिजाइनों में सैकडों किस्म की डिजाइनें उपलब्ध हैं. कान की नसें महिलाओं की नाभि से लेकर पैर के तलवे तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

मेंहदी:- सोलह श्रृंगार का अहम पार्ट है मेहंदी. इन दिनों मेहंदी की डिजाइन की एक से एक पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं. और अगर आपको यह थोड़ा मुश्किल लगता है तो आप बाजार में जाकर पंद्रह मिनट में मेहंदी लगवा कर वापस लौट सकती हैं. मेहंदी हार्मोन को प्रभावित करती है साथ ही ये दिमाग को शांत और तेज बनाती है.

कंगन, चूड़ी अथवा चूड़ा:- हरियाली तीज के दिन सोलह श्रृंगार करते समय प्रचलन के अनुसार कंगन, चूड़ी अथवा चूड़ा पहना जाता है. चूड़ा आमतौर पर राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में पहना जाता है. इनके बिना सारा श्रृंगार अधूरा लगता है.

साड़ी अथवा सलवार सूटः हरियाली तीज भारतीय पर्व होने के नाते इस दिन सुहागन स्त्रियां या तो साड़ी पहनती हैं अथवा सूट-सलवार. सच पूछिये तो इन परिधान के अनुरूप ही शेष श्रृंगार महत्वपूर्ण बन पाते हैं.

बिछिया:- ज्यादातर चांदी की बनी बिछिया दोनों पांवों की बीच की तीन उंगलियों में पहनी जाती है. तीज-त्यौहारों पर सुहागन महिलाएं बिछिया जरूर पहनती हैं. बिछिया भी सुहाग का प्रतीक होती हैं. कहा जाता है कि दोनों पैरों में बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोनल सिस्टम सही रूप से कार्य करता है, तथा थाइराइड की संभावना कम हो जाती है.

पायल या पाजेबः- किसी भी सुहागन के लिए चांदी की पायल बहुत शुभ माना जाता है. हरियाली तीज के दिन पायल या पाजेब पहनना जरूरी होता है. कहते हैं कि पायल में बजने वाले घुंघरु मन को भटकने से रोकते हैं.

कमरबंद या तगड़ी:- कहा जाता है कि अच्छे सेहत की कामना स्वरूप कमरबंद पहना जाता है. लेकिन कुछ राज्यों में कमरबंद अथवा तगड़ी को भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है. हालांकि अब इसकी परंपरा लगभग खत्म होने लगी है. लेकिन तीज-त्यौहारों पर कमरबंद नजर आ ही जाते हैं. यह भी पढ़ें: Happy Hariyali Teej 2019 Wishes: हरियाली तीज के शुभ अवसर पर सुहागनों और रिश्तेदारों को Whatsapp, facebook, एसएमएस, एचडी जीआईएफ जरिए ये मैसेजेस भेजकर दें शुभकामनाएं

अंगूठी:- शादी से पूर्व सगाई से ही अंगूठियां पहनने-पहनाने की परंपरा शुरू हो जाती है. हाथ की अंगुलियों में सोने की चमचमाती अंगूठियां किसी भी सुहागन के सौंदर्य को बढ़ाती हैं. इन दिनों फिल्म एवं टीवी से प्रभावित महिलाएं बड़े-बड़े साइज की अंगूठियां पहनती हैं. अन्य आभूषणों की तरह अंगूठी को भी सुहाग के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.

बाजूबंद:- प्राचीनकाल अथवा उससे भी पूर्व बाजूबंद की पुरजोर परंपरा थी. इसके बारे में कहा जाता है कि यह सोलह श्रृंगार का एक हिस्सा तो है ही साथ मांसपेशियों या नसों की खिंचाव और हड्डियों के दर्द को कम करता है.

गजरा:- सोलह श्रृंगार में गजरों की अहम भूमिका होती है. यही वजह है कि हरियाली तीज हो या करवा चौथ सुहागन महिलाएं अपने बालों में गजरा लगाना नहीं भूलतीं. ये गजरा अमूमन चमेली के सफेद फूलों से बनते हैं, लेकिन पर्व के दिनों में यह विभिन्न किस्म के सफेद फूलों से भी बनाये जाते हैं.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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