Happy Sawan Shivratri 2021 HD Images: हैप्पी सावन शिवरात्रि! शेयर करें भोलेबाबा के ये मनमोहक GIF Greetings, Photo Wishes, WhatsApp Status और वॉलपेपर्स
शिवरात्रि की पूजा को निशिथ काल में करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि सावन शिवरात्रि को निशिथ काल में पूजा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. आज इस अति पावन अवसर पर आप भोलेबाबा के इन मनमोहक एचडी इमेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो विशेज, वॉट्सऐप स्टेटस और वॉलपेपर्स को भेजकर अपनों को हैप्पी सावन शिवरात्रि कह सकते हैं.
Happy Sawan Shivratri 2021 HD Images: सावन का पावन (Sawan Month) महीना देवों के देव महादेव (Mahadev) को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस पूरे महीने भगवान शिव (Lord Shiva) की उपासना करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. सावन महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों के जीवन से सारे संकट दूर होते हैं और खुशहाली का आगमन होता है. सावन महीना होने के कारण इस महीने के सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है. आज (6 अगस्त 2021) सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri) का पर्व मनाया जा रहा है. साल भर में मनाई जाने वाली शिवरात्रियों में फाल्गुन और सावन मास की शिवरात्रि का सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व बताया जाता है. इस दिन तमाम शिवभक्त व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
शिवरात्रि की पूजा को निशिथ काल में करना अत्यंत शुभ फलदायी माना जाता है. माना जाता है कि सावन शिवरात्रि को निशिथ काल में पूजा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. आज इस अति पावन अवसर पर आप भोलेबाबा के इन मनमोहक एचडी इमेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो विशेज, वॉट्सऐप स्टेटस और वॉलपेपर्स को भेजकर अपनों को हैप्पी सावन शिवरात्रि कह सकते हैं.
1- हैप्पी सावन शिवरात्रि 2021
2- हैप्पी सावन शिवरात्रि 2021
3- हैप्पी सावन शिवरात्रि 2021
4- हैप्पी सावन शिवरात्रि 2021
5- हैप्पी सावन शिवरात्रि 2021
सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और इस व्रत के निर्विघ्न संपन्न होने की भगवान शिव से प्रार्थना करना चाहिए. इसके बाद सुबह शिवलिंग के विधिवत अभिषेक के बाद रात्रि को निशिथ काल में विधि-विधान से पूजा करना चाहिए. रात को भगवान शिव की पूजा कर रात्रि जागरण करना चाहिए. विधि-विधान से पूजा करने के बाद अगले दिन सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के समाप्त होने के मध्य के समय में व्रत का समापन करना चाहिए.