Guru Teg Bahadur Martyrdom Day 2019: आज यानी 24 नवंबर 2019 को सिखों के नौवें गुरु कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर जी का 344वां शहीदी दिवस (344th Martyrdom Day of Guru Teg Bahadur) मनाया जा रहा है. गुरु तेग बहादुर (Guru Teg Bahadur) ने 24 नवंबर 1675 में धर्म की रखा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था. धर्म और मानवीय मूल्यों व आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले गुरु तेग बहादुर का इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है. उनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद साहिब जी के घर हुआ था. बचपन में उनका नाम त्यागमल था.
अपने जीवन काल में लोगों को प्रेम, त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ानेवाले गुरु तेग बहादुर ने जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने का कड़ा विरोध किया था. चलिए उनके 344वें शहीदी दिवस पर जानते हैं किस तरह से उन्होंने धर्म के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करना तो स्वीकार किया, लेकिन औरंगजेब के सामने मरते दम तक घुटने नहीं टेके.
जबरन धर्म परिवर्तन का किया था कड़ा विरोध
गुरु तेग बहादुर द्वारा रचित 115 पद्म को सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में सम्मिलित किया गया है. बताया जाता है कि गुरु तेग बहादुर ने कश्मीरी पंडितों और दूसरे हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन कराए और उन्हें मुसलमान बनाए जाने का कड़ा विरोध किया था. जो लोग गुरु तेग बहादुर का अनुसरण करते थे, उन लोगों ने उनकी बात मानी और उसका पालन भी किया. धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले गुरु तेग बहादुर अपने इस बलिदान के लिए इतिहास के पन्नों में सदा-सदा के लिए अमर हो गए.
औरंगजेब के सामने झुकने से कर दिया इंकार
जबरन मुसलमान बनाए जाने का विरोध करने और इस्लाम धर्म को मानने से इंकार करने पर औरंगजेब ने उन्हें तरह-तरह की यातमाएं दी, लेकिन उन्होंने कभी औरंगजेब के सामने घुटने नहीं टेके. धर्म की रक्षा करने के लिए उन्होंने औरंगजेब द्वारा दी गई सारी यातनाएं सही. फिर इस्लाम धर्म न कुबूल किए जाने पर औरंगजेब ने उन्हें मौत की सजा सुनाई थी और उनका सिर कलम कर दिया था. यह भी पढ़ें: Guru Nanak Jayanti 2019: गुरु नानक जयंती कब है? जानिए 550वें प्रकाश पर्व की शुभ तिथि और इसका महत्व
बताया जाता है कि औरंगजेब ने जब उनसे इस्लाम धर्म कुबूल करने के लिए दबाव बनाया तो उन्होंने कहा था कि वो शीश कटा सकते हैं, लेकिन केश नहीं. गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब वो स्थान है जहां उनकी हत्या की गई थी और उनका अंतिम संस्कार किया गया था.
गौरतलब है कि जीवन भर गुरु तेग बहादुर ने धर्म विरोधी और वैचारिक स्वतंत्रता का दमन करने वाली नीतियों का खुलकर विरोध किया था. वे मानवीय धर्म और वैचारिक स्वतंत्रता के लिए शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग के पुरुष कहे जाते हैं. उन्होंने देश के अधिकांश हिस्सों में सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार किया था और उनकी शिक्षाओं व रचनाओं को गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल किया गया है.