Guru Gobind Singh Jayanti 2020 Messages: गुरु गोबिंद सिंह जयंती के शुभ अवसर पर ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, Wishes, GIF Images, Photo SMS, Wallpapers भेजकर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दें शुभकामनाएं

गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु हैं, उनके पिता का नाम गुरू तेग बहादुर था और वे सिखों नौवें गुरु थे. इनकी मृत्यु के बाद गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु बने. गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म गोबिंदराय के रूप में 22 दिसंबर 1666 में पटना बिहार में हुआ था. उनका जन्मदिन कभी-कभी दिसंबर या जनवरी या ग्रेगोरियन कैलेंडर के दोनों महीनों में पड़ता है.

हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती, (फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

Guru Gobind Singh Jayanti 2020 Messages: गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु हैं, उनके पिता का नाम गुरू तेग बहादुर था और वे सिखों नौवें गुरु थे. इनकी मृत्यु के बाद गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु बने. गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म गोबिंदराय के रूप में 22 दिसंबर 1666 में पटना बिहार में हुआ था. उनका जन्मदिन कभी-कभी दिसंबर या जनवरी या ग्रेगोरियन कैलेंडर के दोनों महीनों में पड़ता है. गुरु के जन्मदिन का वार्षिक उत्सव नानकशाही कैलेंडर पर आधारित है. इस साल गुरु गोबिंद सिंह की जयंती 2 जनवरी को मनाई जा रही है. गुरु गोबिंद सिंह जी ने संत-सैनिकों के खालसा दल की स्थापना 1699 में की थी. वो जातिवाद और अंधविश्वास को मानने से मना करते थे, वो एक ओंकार यानी एक ईश्वर में विश्वास करते थे.

उन्होंने पंज कक्के यानी कंघा, केश, कच्छा, कड़ा और कृपाण का अनुसरन किया और अपने अनुयायियों को भी इसे मानने के लिए कहा. गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें और आखिरी गुरु थे. 1708 में अपनी मृत्यु से पहले, उन्होंने गरु ग्रंथ साहिब की घोषणा की जो सिख धर्म का पवित्र ग्रंथ है और स्थायी सिख गुरु है. गुरु गोबिंद सिंह को मुगल शासकों के अन्याय के खिलाफ लड़ने और उनसे लोगों की रक्षा करने के लिए जाना जाता है. वह एक उदार व्यक्ति थे, उन्होंने हमेशा न्याय, शांति और समानता का उपदेश दिया. उन्होंने एक संत का जीवन जिया और अपने लेखन से लाखों सिखों को प्रेरित किया. उन्होंने सिख धर्म के लिए कुछ कठिन नियम बनाए थे, जिनका सिख आज भी अच्छी तरह से पालन करते हैं. गुरु गोबिंद सिंह की जंयती पर सरकारी छुट्टी होती है, ये दिन सिखों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है, इस दिन गुरद्वारों में लोग अरदास के लिए जाते हैं और कढा प्रसाद खाते है. इस दिन गुरूद्वारे में लंगर भी लगता है. गुरु गोबिंद सिंह जयंती पर लोग एक दूसरे को मैसेजेस के जरिए शुभकामनाएं देते हैं. इस शुभ अवसर पर आप भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को नीचे दिए गए मैसेजेस भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं. यह भी पढ़ें: Guru Gobind Singh Jayanti 2019: गुरु गोबिंद सिंह की 352वीं जयंती, जगमगा उठा अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

हम सभी एक साथ मिलकर

गुरु गोबिंद सिंह की जयंती और

प्रकाश उत्सव सेलिब्रेट करें

गुरु गोबिंद सिंह जयंती की बधाईयां!

गुरु गोबिंद सिंह जयंती की बधाईयां, (फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

लख-लख बधाई आपको,

गुरु गोविंद सिंह का आशीर्वाद मिले आपको!

खु़शी का जीवन से रिश्‍ता हो ऐसा,

दीए का बाती संग रिश्‍ता जैसे!

हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती!

हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती, (फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

वाहे गुरु का आशीष सदा मिले,

ऐसी है कामना मेरी!

गुरु की कृपा से आएगी,

घर-घर में खुशहाली!

गुरु गोविंद सिंह जयंती की बधाइयां!

गुरु गोबिंद सिंह जयंती की बधाईयां, (फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

वाहे गुरु! आशीष सदा रहे तेरी,

तेरी दया पर चलती जिन्‍दगी मेरी!

जब भी आए कोई मुश्किल,

तू ही दिखाए मुझको मंजिल!

हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती!

हैप्‍पी गुरु गोविंद सिंह जयंती, ( फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

गुरु गोविंद स‍िंह जी के सद्कर्म,

हमें सदा दिखाएंगे राह!

वाहे गुरु के ज्ञान से,

सबके बिगड़े हुए काम बन जाएंगे!

गुरु गोविंद सिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!

गुरु गोविंद सिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं, ( फोटो क्रेडिट्स : फाइल फोटो )

पटना के जिस घर में गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ था वहां उन्होंने अपने बचपन के चार वर्ष बिताए थे, यहीं वर्तमान में तख्त श्री पटना साहिब स्थित है. में जिस घर में उनका जन्म हुआ था और जिसमें उन्होने अपने प्रथम चार वर्ष बिताये थे, वहीं पर अब तखत श्री पटना साहिब स्थित है. जन्म के चार साल बाद 1670 में उनका परिवार फिर पंजाब आ गया. मार्च 1672 में उनका परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर आ गया. यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी शिक्षा आरम्भ हुई. उन्होंने फारसी, संस्कृत की शिक्षा ली और एक योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल सीखा. चक्क नानकी को ही वर्तमान में आनन्दपुर साहिब कहा जाता है.

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