Gudi Padwa 2019: गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का त्योहार मुख्य रूप से महाराष्ट्र (Maharashtra), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) और गोवा (Goa) के अलावा कई दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. दरअसल, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर हिंदू नववर्ष (New Year) की शुरुआत होती है और इसके प्रारंभ का जश्न बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस बार गुड़ी पड़वा का पर्व 6 अप्रैल, शनिवार के दिन पड़ रहा है. गुड़ी का अर्थ होता है ध्वजा यानी पताका और पड़वा का अर्थ होता है प्रतिपदा. हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी होता है. चलिए जानते हैं गुड़ी पड़वा की पूजा विधि (Puja Vidhi) और शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat).
खरीदारी के लिए है बेहद शुभ दिन
महाराष्ट्र में लोग बड़े ही धूमधाम से गुड़ी पड़वा का पर्व मनाते हैं. इस दिन नई चीजों की खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में गुड़ी पड़वा नववर्ष का आरंभ माना जाता है, इसलिए इस दिन नई चीजों को खरीदना भी बेहद शुभ होता है. इस दिन कई लोग नए आभूषण, नई वस्तुएं, नई गाड़ी और नए घर खरीदारी करते हैं. इस दिन कई शुभ और मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं.
तिथि और शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 5 अप्रैल 2019 को दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 6 अप्रैल 2019 को दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक.
अभिजीत मुहूर्त- 6 अप्रैल 2019 (दोपहर 12: 06 बजे से दोपहर 12: 54 मिनट तक)
ऐसे मनाया जाता है यह पर्व
महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के पर्व की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है. यहां लोग अपने घरों में गुड़ी की स्थापना करते हैं. गुड़ी एक बांस का डंडा होता है जिसे हरे या पीले रंग के कपड़े से सजाकर लोग अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर या छत पर किसी ऊंची जगह पर लगाया जाता है. इसमें माला, नीम और आम के पत्ते बांधे जाते हैं. सबसे ऊपर चांदी या तांबे का लोटा रखा जाता है. गुड़ी को भगवान ब्रह्मा के ध्वज के रूप में देखा जाता है. इसकी स्थापना करके भगवान विष्णु और ब्रह्मा के मंत्रों का उच्चारण उनकी वंदना की जाती है. यह भी पढ़ें: Happy Gudi Padwa 2019 Wishes: दोस्तों व परिवार वालों को भेजें ये शानदार WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, Quotes और दें गुड़ी पाड़वा की शुभकामनाएं
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि
चैत्र प्रतिपदा के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करने के बाद शरीर पर बेसन और तेल का उबटन लगाया जाता है. उसके बाद स्नान करके पूजा की तैयारियां करनी चाहिए. जिस स्थान पर गुड़ी लगाना हो उसे स्वच्छ कर लेना चाहिए. अब उस स्थान पर एक स्वस्तिक का चिह्न बनाएं, फिर बालू की वेदी का निर्माण करें. इसके बाद उस पर सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर हल्दी या कुमकुम से रंग अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर उसके ऊपर ब्रह्माजी की प्रतिमा स्थापित करें. तत्पश्चात हल्दी, अक्षत, पुष्प, जल, धूप, दीप, अगरबत्ती इत्यादि पूजन सामग्री से उनका पूजन करें.