Gita Jayanti 2019: श्रीमद्भगवत गीता के इन 10 अनमोल उपदेशों में छुपा है जीवन का सार, जो हर मोड़ पर आएंगे आपके काम
कुरुक्षेत्र में मुरलीधर श्रीकृष्ण के द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठता है. माना जाता है कि श्रीमद्भगवत गीता में मनुष्य के जीवन का सार छुपा हुआ है. गीता में व्यक्ति के जीवन की हर समस्या का समाधान मौजूद है.
Gita Jayanti 2019: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) है, इसके साथ ही आज गीता जयंती (Gita Jayanti) भी मनाई जा रही है. द्वापर युग में महाभारत (Mahabharat) युद्ध से ठीक पहले कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण (Lord Krsihna) ने अपने मुख से अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. माना जाता है कि इसी दिन श्रीमद्भगवत गीता (Shrimad Bhagwad Gita) का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है. कुरुक्षेत्र में मुरलीधर श्रीकृष्ण के द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज के जीवन पर बिल्कुल सटीक बैठता है. माना जाता है कि श्रीमद्भगवत गीता में मनुष्य के जीवन का सार छुपा हुआ है. गीता में व्यक्ति के जीवन की हर समस्या का समाधान मौजूद है.
गीता में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु के चक्र और उसके बाद के चक्र को विस्तारपूर्वक बताया गया है. गीता में दिए गए उपदेश व्यक्ति के जीवन में हर मोड़ पर काम आते हैं. चलिए गीता जयंती के इस खास अवसर पर जानते हैं गीता के 10 अनमोल उपदेश, जो आपकी जिंदगी के हर मोड़ पर काम आएंगे.
1- जो मन को नियंत्रित नहीं करते हैं, उनके लिए उनका मन शत्रु के समान कार्य करता है.
2- वासना, क्रोध और लालच ये तीनों नर्क के द्वार हैं.
3- व्यक्ति अपने विश्वास से निर्मित होता है, वो जैसा विश्वास करता है वैसा ही बन जाता है.
4- अपने कर्म पर अपना दिल लगाएं, उसके फल की चिंता न करें.
5- जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए जो होना ही है उस पर शोक मत करो.
6- जो कर्म प्राकृतिक नहीं है, वह हमेशा तनाव पैदा करता है.
7- चंचल मन को नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.
8- स्वार्थ व्यक्ति को अन्य लोगों से दूर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है, इसलिए स्वार्थी न बनें.
9- इंसान की इच्छाएं ही उसकी सभी परेशानियों की जड़ है, इसलिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखें.
10- सच्चा मित्र वही होता है जो आपके बुरे वक्त में साथ न छोड़े, दुख और परेशानी में सदा साथ दे.
गौरतलब है कि श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय हैं, जिसमें पहले 6 अध्यायों में कर्मयोग, दूसरे 6 अध्याययों में ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्यायों में भक्तियोग का उपदेश है. गीता के उपदेशों से भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को राह दिखाई थी. जिस तरह से अर्जुन को भगवत गीता के उपदेशों से राह मिली थी वैसे ही इन उपदेशों को पढ़कर मनुष्यों को भी मुश्किल घड़ी में राह मिल जाती है.