Ganesh Chaturthi 2021 Greetings in Hindi: हरतालिका तीज (Hartalika Teej) के अगले दिन गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन तमाम गणेश भक्त अपने आराध्य की प्रतिमाओं को बाजे-गाजे के साथ अपने घर ले आते हैं. गणेश जी (Lord Ganesha) की प्रतिमा को स्थापित करने के बाद विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है. आज यानी 10 सितंबर से 10 दिवसीय गणेशोत्सव (Ganeshotsav) की शुरुआत हो गई है, जिसका समापन 19 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी के दिन होगा. हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व उनके जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
महाराष्ट्र में गणेशोत्सव को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. दस दिवसीय गणेशोत्सव के दौरान हर तरफ गणपती बाप्पा मोरया की ही गूंज सुनाई देती है. हालांकि इस साल भी कोरोना संकट के बीच गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है. ऐसे में आप इन हिंदी ग्रीटिंग्स, फेसबुक मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स, जीआईएफ इमेजेस के जरिए गणपती बाप्पा मोरया कहते हुए अपनों को गणेश चतुर्थी की बधाई दे सकते हैं.
1- आते बड़े धूम से गणपति जी,
जाते बड़े धूम से गणपति जी,
सबसे पहले आकर हमारे,
दिलों में बस जाते गणपति जी.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
2- ॐ गं गणपतये नमः
नए कार्य की शुरूआत अच्छी हो,
हर मनोकामना सच्ची हो,
गणेश जी का मन में वास रहे,
इस गणेश चतुर्थी आप अपनों के पास रहे.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
3- आपका और खुशियों का जन्म-जन्म का साथ हो,
आपकी तरक्की की हर किसी की जुबां पर बात हो,
जीवन में जब भी कोई मुसीबत आए आप पर,
तो भगवान गणेश हमेशा आपके साथ हों.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
4- सब शुभ कारज में पहले पूजा तेरी,
तुम बिना काम ना सरे, अरज सुन मेरी,
रिद्धि-सिद्धि को लेकर करो भवन में फेरी,
करो ऐसी कृपा नित करूं मैं पूजा तेरी.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
5- धरती पर बारिश की बूंदे बरसे,
आप के ऊपर अपनों का प्यार बरसे,
'गणेशजी' से बस यही दुआ है,
आप खुशी के लिए नहीं,
खुशी आप के लिए तरसे.
हैप्पी गणेश चतुर्थी
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं, लेकिन उससे पहले उन्होंने अपने शरीर से पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए. इसके बाद माता उसे द्वारपाल के रूप में नियुक्त किया. गणेश जी ने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को भीतर जाने से रोक दिया. इस पर क्रोध में आकर शिव जी ने उनका मस्तक काट दिया. अपने पुत्र की यह दशा देख माता पार्वती क्रोध में आ गईं और अपने पुत्र को फिर से जीवित करने के लिए कहा. इसके बाद शिवजी ने गणेश जी के धड़ पर हाथी यानी गज का सिर जोड़ दिया, जिससे उनका एक नाम गजानन भी पड़ गया.