Engineers Day 2023: 15 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है इंजीनियर्स दिवस? जानें इसका महत्व एवं सेलिब्रेशन इत्यादि!

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में देश भर में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को इंजीनियर्स दिवस मनाया जाता है. श्री विश्वेश्वरैया भारत के प्रथम सिविल इंजीनियर थे और उन्होंने इस क्षेत्र में राष्ट्र के विकास एवं जनहित में कई महत्वपूर्ण कार्यों को संपादित किया था. उनके कठिन परिश्रम, योगदान और कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित पुरस्कार 'भारत रत्न' से सम्मानित किया.

इंजीनियर्स दिवस (File Photo)

इंजीनियर देश के चौतरफा विकास में प्रमुख कर्णधार की भूमिका निभाता है, वह अपने ज्ञान और कौशल को राष्ट्रहित के लिए समर्पित करता है. इस बात को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने 15 सितंबर को राष्ट्रीय अभियंता दिवस (Engineers Day) मनाने का फैसला किया था. वस्तुतः इसी दिन विश्व विख्यात इंजीनियर सर एम विश्वेश्वरैया का जन्म हुआ था, इसलिए देश में विश्वेश्वरैया को उनके देश हित कार्यों और उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए सम्मानित करने के उद्देश्य से उनके जन्म दिन को इंजीनियर दिवस के नाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर देश भर के इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों एवं कॉलेजों में सेमिनार, वर्कशॉप, डिबेट्स जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं और चुनिंदा इंजीनियरों को उनकी उपलब्धियों के अनुसार पुरस्कृत किया जाता है. आइये जानते हैं इस दिवस के महत्व, इतिहास, सेलिब्रेशन और इंजीनियरों की प्रमुख चुनौतियों आदि के संदर्भ में..

इंजीनियर दिवस का महत्व

सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में देश भर में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को इंजीनियर्स दिवस मनाया जाता है. श्री विश्वेश्वरैया भारत के प्रथम सिविल इंजीनियर थे और उन्होंने इस क्षेत्र में राष्ट्र के विकास एवं जनहित में कई महत्वपूर्ण कार्यों को संपादित किया था. उनके कठिन परिश्रम, योगदान और कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित पुरस्कार 'भारत रत्न' से सम्मानित किया. इंजीनियर्स दिवस के युवा इंजीनियरों को सर विश्वेश्वरैया के सिद्धांतों का पालन करने और अपने ज्ञान एवं कौशल से देश के विकास के लिए अग्रसर रहने के लिए प्रेरित करता है. International Literacy Day 2023: क्यों जरूरी है अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं टॉप 10 सर्वाधिक निरक्षर देशों की सूची!

भारत में इंजीनियर दिवस सेलिब्रेशन

इस अवसर देश के राजनेता, इंजिनियरिंग कॉलेज एवं अन्य विशिष्ठ संस्थानों में अधिकारी सर एम. विश्वेश्वरैया को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. नवोदित इंजीनियरों को ज्ञानवर्धक एवं प्रेरक भाषणों द्वारा विश्वेश्वरैया के योगदानों का जिक्र करते हुए उन्हें देशहित में कुछ विशेष करने के लिए प्रेरित करते हैं. इसके साथ कुछ विशिष्ठ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जहां इंजीनियरिंग के छात्र देश हित को ध्यान में रखते हुए विभिन्न किस्म के प्रोजेक्ट के मॉडल प्रस्तुत करते हैं, और लोगों को उसकी उपयोगिता के बारे में बताते हैं. इस तरह प्रतिवर्ष बाँध, पनडुब्बी, रोबोट, ड्रोन, आधुनिक सुविधाओं वाले रॉकेट, विभिन्न क्षेत्रों के लिए कारगर नई मशीनरी. जैविक ईंधन एवं कृषि संबंधी संयंत्र आदि के मॉडल प्रस्तुत किये जाते हैं, जो देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.

विश्वेश्वरैया की देशहित उपलब्धियां

डॉ. सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक के घर में हुआ. उनके पिता श्रीनिवास शास्त्री चिकित्सक होने के साथ-साथ संस्कृत के विद्वान भी थे. लेकिन जब विश्वेश्वरैया मात्र 12 वर्ष के थे, पिता का निधन हो गया. उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात एशिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में एक पुणे स्थित कॉलेज ऑफ साइंस में प्रवेश लिया. उन्होंने करियर की शुरुआत बॉम्बे सरकार के लोक निर्माण विभाग से की. उनके दिशा निर्देशन में कई चुनौतीपूर्ण परियोजनाएं सम्पन्न हुईं, जिनमें पुणे में खडकवासला जलाशय का निर्माण किया. हैदराबाद की जटिल सिंचाई व्यवस्था को सुचारू करने के लिए स्टील के दरवाजे के जरिए आटोमेटिक ब्लॉक सिस्टम बनाकर पानी के बहाव पर नियंत्रण पाने में सफलता हासिल की. उन्होंने मूसा व ईसा नदियों के पानी को बांधने का प्लान तैयार किया, तथा विशाखापत्तनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने के लिए एक नई और सुरक्षा प्रणाली विकसित की. मैसूर में कृष्णा राजा सागर बांध निर्माण के वह चीफ इंजीनियर थे.

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