Engineer's Day 2021: 15 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं इंजीनियर दिवस? जानें इसका इतिहास, महत्व एवं इसके प्रणेता के संदर्भ में रोचक बातें!
महान भारतीय इंजीनियर ‘भारत रत्न’ मोक्षगुंडम विश्वेश्वर्या की स्मृति के रूप में भारत में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. हर वर्ष 15 सितंबर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वर्या के जन्म-दिन के उपलक्ष्य में इंजीनियर दिवस मनाया जाता है.
Engineer's Day 2021: महान भारतीय इंजीनियर ‘भारत रत्न’ मोक्षगुंडम विश्वेश्वर्या की स्मृति के रूप में भारत में प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. हर वर्ष 15 सितंबर को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वर्या के जन्म-दिन के उपलक्ष्य में इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. विश्वेश्वर्या भारत के महान इंजीनियर, प्रख्यात विद्वान एवं कुशल राजनेता थे. साल 1968 में इंजीनियर दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी, इसके बाद से ही यह दिन भारतीय शिक्षा में बेहद महत्वपूर्ण दिन माना जा रहा है. यह भी पढ़े: Professional Engineers Day 2021 Wishes: हैप्पी प्रोफेशनल इंजीनियर्स डे! शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Messages, GIFs, Greetings और वॉलपेपर्स
क्या है इसका इतिहास?
एम. विश्वेश्वर्या भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में ‘सर एमवी’ के नाम से भी लोकप्रिय हैं. इंजीनियरिंग एवं समाज विकास के क्षेत्र में उनके अतुल्य योगदानों को देखते हुए ही उनके जन्म दिन को इंजीनियर दिवस के रूप में चुना गया. उनके उत्कृष्ट योगदान के साथ-साथ उनके असाधारण कार्यों एवं उपलब्धियों से भावी पीढ़ियों को प्रेरित और परिचित कराने के लिए, उनकी जयंती को 1968 से भारत में इंजीनियर दिवस के रूप में मनाया जाता है.
क्यों कहते हैं उन्हें ‘द फादर ऑफ मार्डन मैसूर स्टेट’
15 सितंबर 1860 को विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर (कर्नाटक) के कोलार में हुआ था. बतौर कुशल इंजीनियर उन्होंने देश में कई बांध बनवाए. इसमें कृष्णराज सागर बांध (मैसूर), खड़कवासला जलाशय बांध (पुणें) और तिगरा बांध (ग्वालियर) प्रमुख हैं. इसके अलावा हैदराबाद शहर को स्टैबलिश करने का श्रेय भी उन्हें जाता है. उन्होंने एक ऐसी बाढ़ सुरक्षा प्रणाली तैयार की थी, जिसके कारण पूरे भारत में वे लोकप्रिय हो गये. उन्होंने विशाखापत्तनम बंदरगाह की समुद्री कटाव से सुरक्षा के लिए भी अत्यंत विकसित प्रणाली ईजाद की. उन्होंने मैसूर सरकार के साथ मिलकर कई फैक्ट्रियों एवं शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करवाई थी.
इसमें प्रमुख थे मैसूर साबुन फैक्ट्री, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, मैसूर चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स और विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग आदि प्रमुख हैं. उनके इन तमाम योगदानों को ध्यान में रखकर उऩ्हें ‘द फादर ऑफ मार्डन मैसूर स्टेट’ कहा जाता है. साल 1915 में उन्हें किंग जॉर्ज पंचम द्वारा स्वतंत्रता के बाद ‘नाइट कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ इंडियन एम्पायर’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था. भारत सरकार ने 1955 में उन्हें देश के सर्वोच्च भारत-रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया. 12 अप्रैल, 1962 को बैंगलोर में विश्वसरैया अंतिम सांस ली.
इंजीनियरिंग के बारे में रोचक तथ्य
* भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 1.5 मिलियन (15 लाख) इंजीनियर पैदा करता है. यह प्रतिवर्ष आइसलैंड की कुल जनसंख्या के मुकाबले दोगुने से अधिक इंजीनियरों की संख्या है.
* सिलिकॉन वैली में लगभग 16 प्रतिशत स्टार्टअप में एक भारतीय सह-संस्थापक है.
* भारत में तकरीबन 10,396 एआईसीटीई संबद्ध इंजीनियरिंग संस्थान हैं. महाराष्ट्र 1564 संस्थानों के साथ पहले नंबर पर, तमिलनाडु 1339 संस्थानों के साथ दूसरे नंबर पर एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में एकमात्र इंजीनियरिंग संस्थान है.
* ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा 1794 में स्थापित चेन्नई में इंजीनियरिंग कॉलेज, गिंडी, भारत का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कॉलेज है.
इन देशों में भी मनाया जाता है इंजीनियर दिवस
भारत में जहां इंजीनियर दिवस 15 सितंबर को मनाते हैं, वहीं अर्जेटीना में 16 जून, इटली में 15 जून, बेल्जियम में 20 मार्च, ईरान में 24 फरवरी, रोमानिया में 14 सितंबर, मैक्सिकों में 1 जुलाई और बांग्लादेश में 7 मई को इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. ये देश अपने स्थानीय इतिहास और उसके महत्व के अनुरूप इस दिन इंजीनियर दिवस मनाया जाता है. इस दिवस विशेष को मनाने का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के इंजीनियरों को प्रोत्साहित करना था, ताकि अपनी योग्यता से वे देश-दुनिया को विकास के मोड़ पर ला सकें.