Durga Puja 2020: नवरात्रि में 5 दिवसीय दुर्गा पूजा महोत्सव का है खास महत्व, इस साल 2 फुट की प्रतिमाओं की होगी स्थापना और पंडाल भी होंगे छोटे
कोविड-19 के संक्रमण की महामारी को देखते हुए नई गाइड लाइन जारी होने के साथ ही दुर्गापूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बार बड़े और भव्य विशाल पंडाल नहीं दिखेंगे. न केवल दुर्गा पूजा पंडालों का आकार कम होगा, बल्कि दुर्गाजी की प्रतिमा भी अधिकतम दो फीट तक ही रखे जाने का आदेश है. कहने का आशय यह कि इस बार दुर्गा पंडालों में 2 फीट तक की मां दुर्गा और महिषासुर की प्रतिमाएं नजर आयेंगी.
Durga Puja 2020: कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण की महामारी (Pandemic) को देखते हुए नई गाइड लाइन जारी होने के साथ ही दुर्गा पूजा (Durga Puja) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इस बार बड़े और भव्य विशाल पंडाल नहीं दिखेंगे. न केवल दुर्गा पूजा पंडालों (Durga Pandals) का आकार कम होगा, बल्कि दुर्गा जी की प्रतिमा भी अधिकतम दो फीट तक ही रखे जाने का आदेश है. कहने का आशय यह है कि इस बार दुर्गा पंडालों में 2 फीट तक की मां दुर्गा और महिषासुर की प्रतिमाएं नजर आयेंगी. इसके साथ ही पूजा और आरती के समय पंडाल में सीमित संख्या में ही लोगों की उपस्थिति तक की छूट दी गयी है. इस वर्ष नवरात्रि (Navratri) 17 अक्टूबर को कलश स्थापना से शुरू हो जायेगी. जहां तक दुर्गा पूजा की बात है तो यह द्वितीय आश्विन शुक्लपक्ष की षष्ठी यानी 22 अक्टूबर को षष्ठी पूजा से प्रारंभ होगी. सप्तमी, अष्टमी और नवमी की पूजा के बाद दशमी यानी विजयादशमी के दिन सिंदूर खेला कार्यक्रम के बाद दुर्गा जी की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ दुर्गा पूजा सम्पन्न हो जायेगा.
दुर्गा पूजा का महात्म्य
दुर्गा पूजा मूलतः बंगालियों का पर्व कहा जाता है. इसलिए पश्चिमी बंगाल में इस पर्व की भव्यता देखते बनती है. यद्यपि अब तो संपूर्ण भारत में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. आमतौर पर दुर्गा पूजा महालया के छह दिन बाद शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल अधिमास के कारण चंद्र माह में दो चांद लग रहे हैं. बंगाली-हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार अधिमास अश्व मास में है, इसके समाप्त होने के बाद ही दुर्गा शुरू होगी. मान्यता है कि महालया के दिन मां दुर्गा धरती पर आती हैं और भक्तों के सारे कष्ट दूर करती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं. 5 दिवसीय यह पर्व दुनियाभर में पूरी परंपरा के साथ मनाया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान किए गए सात्विक उपाय बहुत शुभ फलदायी होते हैं. यह भी पढ़ें: Durga Puja 2020 Virtual Celebration Ideas: ऑनलाइन मुख दर्शन से लेकर पूजा भोग का आनंद लेने तक, जानें घर पर शारदीय नवरात्रि मनाने के 5 खास तरीके
दुर्गा पूजा से जुड़ी पारंपरिक कथा
देवी पुराण के अनुसार एक बार असुरों का राजा महिषासुर, जो बेहद शक्तिशाली था ने स्वर्गलोक पर अपना अधिकार जमाने के लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की. उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव प्रकट हुए और महिषासुर से वर मांगने को कहा. महिषासुर ने अमरता का वरदान मांगा, किंतु ब्रह्मा ने कहा, यह संभव नहीं है, धरती की प्रकृति के अनुसार यहां हर किसी को एक दिन मरना है. मैं इतना कर सकता हूं कि तुम्हारा वध केवल एक स्त्री ही करेगी.
अपनी ताकत पर इतराते हुए महिषासुर ने सोचा मुझ जैसे बलशाली को भला कोई साधारण स्त्री क्या मार पायेगी? वह मान गया. इसके बाद वह खुद को अमर समझने लगा. उसने स्वर्गलोक पर आक्रमण कर सारे देवों को वहां से भगाकर इंद्र के सिंहासन पर जा बैठा. महिषासुर की ताकत से परिचित सभी देव त्राहिमाम् त्राहिमाम् करते हुए त्रिदेव के पास पहुंचे. तब तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की तेज पुंज से एक शक्ति उत्पन्न होकर कहा कि वह दुर्गा है और वह महिषासुर का मर्दन करने के लिए पृथ्वी पर आई हैं.
कहा जाता है कि दुर्गा जी और महिषासुर बीच भयंकर युद्ध चला और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन मां दुर्गा महिषासुर का संहार करने में सफल हुईं. इसके बाद से ही शक्ति की उपासना के उपलक्ष्य में दुर्गा पूजा मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Sharad Navratri 2020: नवरात्रि में की जाती है मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा, जानें महत्व और हर स्वरूप की उपासना करने का खास मंत्र
दुर्गा पूजा के 5 द्विवसीय कार्यक्रम
22 अक्टूबर (गुरुवार) को मूर्ति स्थापना के साथ सायंकाल 7.30 बजे षष्टी (छठ) पूजा और भूदान
23 अक्टूबर सुबह 9 बजे महासप्तमी पूजा, दोपहर 12 बजे पुष्पांजली, तथा शाम 7 बजे संध्या आरती.
24 अक्टूबर सुबह 9 बजे महाअष्टमी पूजा, दोपहर 12.03 बजे संधि पूजा, 1 बजे पुष्पांजली और रात 8 बजे आरती.
25 अक्टूबर सुबह 10 बजे महानवमी पूजा, दोपहर 12.30 बजे पुष्पांजलि, और शाम 7.30 बजे संध्या आरती.
19 अक्टूबर सुबह 10 बजे दशमी पूजा, 10.30 बजे ढाकी करमा व 11.30 बजे सिंदूर दान. इसके बाद मूर्ति का विसर्जन होगा.
गौरतलब है दुर्गा पूजा के उत्सव को बंगाली समुदाय के लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं, लेकिन इस साल कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के चलते कई पंडालों ने दुर्गा पूजा को ऑनलाइन स्ट्रीम करने का फैसला किया है, ताकि भक्त घर बैठे दुर्गा पूजा का लाभ प्राप्त कर सकें. इसके साथ ही इस साल दुर्गा पूजा का उत्सव कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मनाया जाएगा.