Dhammachakra Pravartan Day 2020: जब डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनाया था बौद्ध धर्म, जानें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का इतिहास और महत्व
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस या धम्मचक्र अनुप्रवर्तन दिवस बौद्ध धर्म के सभी अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है. हर साल 14 अक्टूबर को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है जो भारतीय संविधान के रचयिता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के धर्म परिवर्तन यानी बौद्ध धर्म को अपनाए जाने का प्रतीक है. डॉ. आंबेडकर के साथ उनके करीब 600,000 अनुयायियों ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म को अपनाया था.
Dhammachakra Pravartan Day 2020: धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (Dhammachakra Pravartan Day) या धम्मचक्र अनुप्रवर्तन दिवस (DhammaChakra Anupravartan Din) बौद्ध धर्म के सभी अनुयायियों (Buddhists) के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है. हर साल 14 अक्टूबर को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है जो भारतीय संविधान के रचयिता (Father Of The Constitution) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) के धर्म परिवर्तन यानी बौद्ध धर्म को अपनाए (Conversion into Buddhism) जाने का प्रतीक है. इसी दिन डॉ. आंबेडकर ने अपना धर्म परिवर्तन किया था. डॉ. आंबेडकर के साथ उनके करीब 600,000 अनुयायियों ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म को अपनाया था, इसलिए इस दिन को बौद्ध समुदाय के लोगों द्वारा बहुत सम्मान और उत्साह के साथ चिह्नित किया जाता है. इस खास अवसर चलिए जानते हैं इस दिवस का इतिहास और महत्व
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का इतिहास और महत्व
भारत में जाति प्रथा बहुत ही कठोर है और दुर्भाग्यवश आज भी समाज में इसका प्रचलन थमा नहीं है. आज के इस आधुनिक दौर में भी भारतीय समाज में अधिकांश लोग जाति प्रथा से पीड़ित हैं. आज भी कई जगहों पर ऊंची जाति के लोगों द्वारा निचली जाति के लोगों से भेदभाव किया जाता है. इस भेदभाव का मुकाबला करने के लिए बाबासाहेब आंबेडकर ने बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने के लिए एक बड़ा कदम उठाया. उन्होंने धर्म परिवर्तन के जरिए जाति व्यवस्था पर आधारित भेदभाव को कम करने का लक्ष्य रखा. यह भी पढ़ें: Mahaparinirvan Diwas 2019: जानिए कैसे संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ‘महार’ जाति से ब्राह्मण और फिर बौद्ध धर्म से जुड़े
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस को स्वतंत्रता का दिन भी कहा जाता है. यह एक ऐसा दिन है जब कोई भी स्वतंत्र रूप से खुद को परिवर्तित या बदल सकता है. आंबेडकर के साथ उनके लगभग 6 लाख अनुयायियों ने नागपुर में दीक्षाभूमि पर बौद्ध धर्म के मार्ग को चुना. यह बौद्ध धर्म के इतिहास में एक बेहद ही महत्वपूर्ण दिन है और इस समुदाय के लोगों द्वारा हर्षोल्लास के साथ इस दिवस को मनाया जाता है.
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उत्सव को मनाने के लिए इस दिन डॉ. आंबेडकर के कई बौद्ध अनुयायी नागपुर की दीक्षाभूमि पर एकत्रित होते हैं. लोग एक-दूसरे को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस की शुभकामनाएं देते हैं. इस दिन डॉ. आंबेडकर और उनकी शिक्षाओं को याद करने के लिए कई आयोजन किए जाते हैं. इसके साथ ही नियो-बुद्धिस्ट (Neo-Buddhists) की प्रशंसा और सम्मान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं. हालांकि इस साल कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के इस उत्सव को भी सादगी से मनाया जाएगा.