Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि पर ऐसे कर सकते हैं साक्षात 9 शक्तियों के दर्शन? जानें कन्या-पूजन का विधान एवं मुहूर्त!
चैत्रीय नवरात्रि सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है. जो श्रद्धालु नवरात्रि के पूरे 9 दिन उपवास रहकर माँ दुर्गा की नौ शक्तियों का व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान करते हैं, परंपरास्वरूप अष्टमी अथवा नवमी के दिन कन्या-पूजन करते हैं. कन्या-पूजन दुर्गाजी की नौ साक्षात शक्तियों की पूजा का प्रतीक होता है. इस वर्ष 2022 में चैत्रीय नवरात्रि की अष्टमी एवं नवमी क्रमशः 9 एवं 10 अप्रैल को पड़ रही है.
Chaitra Navratri 2022: चैत्रीय नवरात्रि सनातन धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है. जो श्रद्धालु नवरात्रि के पूरे 9 दिन उपवास रहकर माँ दुर्गा की नौ शक्तियों का व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान करते हैं, परंपरास्वरूप अष्टमी अथवा नवमी के दिन कन्या-पूजन करते हैं. कन्या-पूजन दुर्गाजी की नौ साक्षात शक्तियों की पूजा का प्रतीक होता है. इस वर्ष 2022 में चैत्रीय नवरात्रि की अष्टमी एवं नवमी क्रमशः 9 एवं 10 अप्रैल को पड़ रही है. इसमें से किसी एक दिन 2 से 11 वर्ष की कन्याओं एवं भैरव स्वरूप एक लड़के की पूजा की जाती है. मान्यता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग रूप में आपके घर पर विराजती हैं. आइये जानें क्यों और कैसे करते हैं हम कन्या-पूजन, क्या है इसका विधान एवं मुहूर्त? यह भी पढ़े: Chaitra Navratri 2022 Messages: चैत्र नवरात्रि पर अपनों संग शेयर करें ये प्यारे Wishes, WhatsApp Status, Greetings और मां दुर्गा की फोटोज
क्यों करते हैं छोटी कन्याओं की पूजा?
हिंदू धर्म के अनुसार संपूर्ण विश्व भगवान शिव एवं शक्ति की अभिव्यक्ति (Manifestation) है. छोटी कन्याएं मासूम एवं पवित्र होती हैं. ये मानव रूप में देवी माँ के शुद्धतम रूप का प्रतिनिधित्व करती हैं. हिंदू शास्त्र में एक कुंवारी लड़की शुद्ध एवं मूल रचनात्मक शक्ति का प्रतीक होती हैं. मूर्ति पूजा में प्राण प्रतीष्ठा इसीलिए की जाती है, ताकि मूर्ति में देवता की शक्ति का आह्वान किया जा सके. देवी पुराण के अनुसार छोटी लड़कियों की रचना स्वयं देवी मां करती हैं. उनमें नारी शक्ति चरम पर होती है और अहंकारों से मुक्त एवं निर्दोष होती हैं. इसीलिए कन्या-पूजा के दरम्यान छोटी कन्याओं में आसानी से देवी माँ का आह्वान किया जा सकता है.
ऐसे होगा कन्या में साक्षात देवी का दर्शन!
कन्या-पूजन का परमार्थ आपके विश्वास, भक्ति और संवेदनाओं पर निर्भर करता है. यह इस पर भी निर्भर करता है कि आपने कितनी समग्रता से देवी माँ का स्मरण किया है. छोटी कन्याओं की पूजा करते समय आप उन्हें देवी रूप में देखते या उनके चरणों में समर्पण करते हैं तो जान लें कि आपने साक्षात देवी के चरण स्पर्श किये हैं. पूजा के दरम्यान कन्या को साक्षात देवी के रूप में देखें. इसीलिए उनके चरण-स्पर्श करने और पैर धोकर तिलक करने से लेकर आसन पर बिठाने, मंत्र जाप करने, पूरी, चने की सब्जी, हलवा एवं मिठाई खिलाने और अंत में उनके हाथ में मुद्रा रखकर आशीर्वाद प्राप्त करने तक के सभी अनुष्ठान करें.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या-पूजन किया जाता है. इस बार चैत्र मास की अष्टमी 09 अप्रैल को पड़ रही है. इसे महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11.05 बजे से शुरु होगी. अष्टमी का समापन 9 अप्रैल की देर रात 01.23 बजे होगी. इस दिन प्रातः 06.02 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा, वहीं सुकर्मा योग दिन में 11.25 बजे से 11.58 बजे तक है. कन्या पूजने के लिए दिन का शुभ मुहूर्त 11.58 बजे से 12.48 बजे तक है. इन शुभ मुहूर्त में कन्या-पूजन ज्यादा फलदायी साबित हो सकता है.