Bhishma Ashtami 2024 Wishes: भीष्म अष्टमी की इन शानदार हिंदी WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

भीष्म पितामह के तर्पण की तिथि पर भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी इच्छा से माघ शुक्ल अष्टमी को अपने प्राण त्यागे थे. भीष्म अष्टमी पर तर्पण और दान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. आप भी इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस, वॉलपेपर्स के जरिए भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

Bhishma Ashtami 2024 Wishes in Hindi: महाभारत (Mahabharat) काल की कई ऐसी घटनाएं घटी हैं, जो आज भी आश्चर्यचकित कर देती हैं. उन्हीं घटनाओं में से एक है अर्जुन द्वारा पितामह भीष्म (Bhishma) को बाणों की शैय्या पर लेटा देना. प्रचलित पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितामह भीष्म (Pitamah Bhishma) को अपनी इच्छा से प्राण त्यागने का वरदान मिला था, इसलिए बाणों की शैय्या पर लेटने के बाद भी उन्होंने अपनी ही इच्छा से प्राण त्यागे थे. हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा पुत्र पितामह भीष्म ने माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अपना शरीर त्यागा था, इसलिए उनकी शरीर त्यागने की इस तिथि यानी माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म अष्टमी (Bhishma Ashtami) मनाई जाती है. इस साल 16 फरवरी 2024 को यह पर्व मनाया जा रहा है.

भीष्म पितामह के तर्पण की तिथि पर भीष्म अष्टमी का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपनी इच्छा से माघ शुक्ल अष्टमी को अपने प्राण त्यागे थे. भीष्म अष्टमी पर तर्पण और दान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. आप भी इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस, वॉलपेपर्स के जरिए भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.

1- भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

2- भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

3- भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

4- भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

5- भीष्म अष्टमी की शुभकामनाएं

भीष्म अष्टमी 2024 (Photo Credits: File Image)

ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मचर्य जीवन जीने की प्रतिज्ञा लेने वाले पितामह भीष्म को इच्छानुसार मृत्यु का समय चुनने का वरदान मिला था, इसलिए उन्होंने अपने प्राण त्यागने के लिए माघ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को चुना, क्योंकि तब तक सूर्य देव उत्तरायण की ओर प्रस्थान करने लगते हैं, जिसे शुभ माना जाता है. इस दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है, इसके साथ ही इस तिथि पर पितरों के लिए तर्पण और दान करने से उन्हें मुक्ति मिलती है.

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