Bach Baras 2023 Messages in Hindi: हर साल पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) की शुरुआत से पहले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Gowatsa Dwadashi) का पर्व मनाया जाता है. धनतेरस से एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस पर्व को वसु बारस (Vasu Baras), बाघ बारस (Vagh Baras) या बछ बारस (Bach Baras) के नाम से जाना जाता है. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में इसे श्रीपाद श्री वल्लभ (Sripada Sri Vallabha) के श्रीपाद वल्लभ आराधना उत्सव (Sripada Vallabha Aradhana Utsav) के तौर पर मनाया जाता है. इसके अलावा इस त्योहार को नंदिनी व्रत (Nandini Vrat) के नाम से भी जाना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, आज (9 नवंबर 2023) गोवत्स द्वादशी मनाई जा रही है. गाय और बछड़ों को समर्पित इस खास दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और उनके प्रति सम्मान जाहिर किया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गौ माता की पूजा की जाती है. गौ-भक्ति और गौ-सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है. श्रीकृष्ण भी स्वंय गाय की सेवा करते थे, क्योंकि उन्हें गौ माता अतिप्रिय है. गोवत्स द्वादशी के दिन लोग शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस के जरिए बछ बारस की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- जहां गौ माता की रक्षा एवं संवर्धन होता है,
तथा उन्हें पूज्य भाव देकर पूजा जाता है,
वह व्यक्ति, समाज, राष्ट्र निश्चित ही,
वैभव को प्राप्त करता है...
बछ बारस की शुभकामनाएं
2- गौ माता करतीं सदा, भव सागर से पार,
इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार...
बछ बारस की शुभकामनाएं
3- घास-फूस खाकर करें, दूध-दही की रेज,
इसी वजह से सज रही, मिष्ठानों की सेज...
बछ बारस की शुभकामनाएं
4- गोबर करता है यहां, ईंधन का भी काम,
गौ सेवा जिसने की, उसके हो गए चारों धाम...
बछ बारस की शुभकामनाएं
5- गायों की सेवा करो और बचाओ जान,
कान्हा आगे आएंगे, सुख की छतरी तान...
बछ बारस की शुभकामनाएं
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, गौ माता के पूजन से सिर्फ देवी-देवता ही प्रसन्न नहीं होते हैं, बल्कि इससे पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. भविष्य पुराण के मुताबिक, गाय के पृष्ठदेश में ब्रह्मा, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवी-देवता, रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में सभी पर्वत, नेत्रों में सूर्य-चंद्र, गौमूत्र में सभी पवित्र नदियों का वास माना जाता है. ऐसे में इस दिन गाय और बछड़े की पूजा व सेवा से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.