अयोध्या में श्रीराम एवं सरयू के अलावा देखने योग्य अन्य दर्शनीय स्थल! जिसे देख हर कोई मुरीद हो जाएगा अयोध्या नगरी का!

हजारों साल पुरानी आध्यात्मिक ग्रंथों का बेजोड़ हिस्सा अयोध्या अपनी पुरातन संस्कृति में लौटती-सी लग रही है. इसका श्रेय जाता है अयोध्या में भव्य राम-मंदिर निर्माण को. जिसका उद्घाटन आगामी 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है.

अयोध्या, श्रीराम (Photo: Wikimedia Commons)

हजारों साल पुरानी आध्यात्मिक ग्रंथों का बेजोड़ हिस्सा अयोध्या अपनी पुरातन संस्कृति में लौटती-सी लग रही है. इसका श्रेय जाता है अयोध्या में भव्य राम-मंदिर निर्माण को. जिसका उद्घाटन आगामी 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है. इस अवसर का गवाह बनने हेतु देश-विदेश के श्रद्धालु, पर्यटक और मीडिया के लोगों ने अयोध्या में डेरा डालना शुरू कर दिया है. अनजाने लोगों के अनुसार अयोध्या में श्रीराम जन्मस्थान और सरयू नदी के अलावा और क्या हो सकता है? जबकि सच्चाई यह है कि यहां 8 मशहूर दर्शनीय स्थल भी हैं, जो अयोध्या के पर्यटकों को विस्मित कर सकता है. अगर आप अयोध्या जा रहे हैं, तो इन दर्शनीय स्थलों का भी दर्शन लाभ अवश्य लें. यह भी पढ़ें: PM Modi Shares Ram Bhajan: गायक हरिहरन का 'सबने तुम्हें पुकारा श्री राम जी', गाने को सुन भक्तिमय हुए पीएम मोदी, लोगों से की भजन सुनने की अपील

अयोध्या के दर्शनीय स्थल

कनक भवनः- हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब भगवान राम सीता को विवाह कर अयोध्या लाये तो ससुराल में उन्हें मुंह-दिखाई रस्म के तौर पर कनक भवन दिया गया था, अपने नाम के अनुरूप इसे सोने का घर जैसा अलंकृत किया गया है. कनक भवन में भगवान श्रीराम एवं देवी सीता की महीन कलाकारी एवं वास्तुकला से युक्त प्रतिमा स्थापित है. पर्यटकों को लुभाने हेतु यहाँ गीत-संगीत का अद्भुत प्रदर्शन किया जाता है.

हनुमान गढ़ीः- पर्वत की चोटी पर स्थित हनुमान मंदिर का निर्माण अवध के नवाब द्वारा बनवाया गया था. हनुमानजी के दर्शन के लिए सभी को 76 सीढ़ियां चढ़नी होती है. हनुमान गढ़ी के गर्भ में भगवान श्रीराम की छ इंच की मूर्ति है, इनके करीब ही हनुमानजी एवं उनकी माँ की मूर्ति है. हनुमान भक्तों को यह स्थान अवश्य भायेगी. इस स्थल का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही इसके इर्द गिर्द हरियाली छाई हुई है. मान्यता है कि यहां हनुमान जी से पूजा-प्रार्थना करने से सारे पाप मिट जाते हैं.

त्रेता के ठाकुर

अयोध्या का श्री राम जन्म से गहरा संबंध है, इसका एक प्रमाण त्रेता के ठाकुर का यह मंदिर भी है, मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने यहां पर अश्वगंधा यज्ञ किया था. कालांतर में उसी स्थान पर मंदिर बनवाया गया. इस मंदिर में श्री राम, देवी सीता, भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न की प्रतिमा स्थापित है. जानकार बताते हैं कि मुगल विध्वंसकारियों से बचाकर मंदिर की मूल एवं प्राचीन मूर्तियां जो काले पत्थर की हैं, भी सुरक्षित रखी गई हैं. उम्मीद की जा रही है कि रामलला मंदिर की स्थापना के बाद दर्शकों के दर्शनार्थ असली मूर्तियां भी रखी जाएंगी.

सीता की रसोईः- श्रीराम राम जन्मस्थल के उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित सीता की रसोई वस्तुतः सीता जी का मंदिर है, जो रसोईघर सदृश्य दिखता है. गौरतलब है कि सीता जी को ही अन्नपूर्णा कहा जाता है. मंदिर के एक हिस्से में भगवान राम-सीता, भरत उनकी पत्नी मांडवी, लक्ष्मण के साथ उर्मिला एवं शत्रुघ्न एवं श्रुताकीर्ति की प्रतिमाएं स्थापित हैं.

राजा मंदिरः- सरयू तट पर स्थित इस मंदिर में बहुत सारे देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं. इस एक स्थल पर ढेर सारे देवी देवताओं का दर्शन करके यहां आने वाले श्रद्धालु कृतार्थ होते हैं. इस मंदिर को पौराणिक वास्तुकला का सुंदर नमूना कहा जाता है. सरयू में स्नान कर श्रद्धालु इस मंदिर में अवश्य आते हैं.

तुलसी स्मारक भवन संग्रहालयः- ऐतिहासिक तथ्य बताते हैं कि अयोध्या के इसी स्थान पर आकर गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपना लोकप्रिय काव्य ग्रंथ रामचरित मानस पूरा किया था. यह संग्रहालय तुलसीदास की स्मृति में ही बनवाया गया है. यहां हिंदू धर्म के तमाम आध्यात्मिक पुस्तक उपलब्ध हैं. यहां एक अनुसंधान केंद्र भी है.

गुलाब बाड़ी- वास्तव में यह नवाब शुजा-ऊ-दौला का मकबरा है, जिसके चारों ओर लाल, पीला, काला, सफेद, गुलाबी नाना रंगों के गुलाब के फूलों से भरा खूबसूरत बगीचा है. बगीचे के बीचो-बीच एक खूबसूरत फव्वारा भी है, जो रात में रंगीन रोशनियों के बीच बहुत खूबसूरत नजर आता है. इतिहासकारों के अनुसार यह केवल ऐतिहासिक स्थल ही नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व भी है.

राम कथा संग्रहालयः- सरयू तट पर स्थित अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संग्रहालय में एक हजार से ज्‍यादा पुरातात्विक महत्व की प्राचीन वस्तुएं एवं पुरावशेष देखे जा सकते हैं. इस संग्रहालय में गुमनामी बाबा की गैलरी भी बनी है, इसमें रहस्यमयी बाबा के आवास एवं रामभवन से मिली बड़ी संख्‍या में सामग्री रखी गयी है, जो नेताजी सुभाषचंद्र बोस से भी जुड़ी है.

 

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